नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। कोलेस्ट्रॉल हमारे स्वास्थ्य को हमेशा नुकसान नहीं पहुंचाता। यह शरीर में बनने वाली एक जरूरी वसा है, जो हार्मोन तैयार करने से लेकर विटामिन डी बनाने और कोशिकाओं की सुरक्षा तक कई अहम काम करता है।
दिक्कत तब आती है जब इसकी मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है। आयुर्वेद में इस स्थिति को रक्त मेद दुष्टि कहा गया है, जहां मेद की गुणवत्ता खराब होकर खून को चिपचिपा बना देती है और प्रवाह धीमा कर देती है।
कोलेस्ट्रॉल तीन मुख्य प्रकार का होता है: एलडीएल, एचडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स। एलडीएल को खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह धमनियों की दीवारों में चिपकने लगता है और समय के साथ प्लाक बना देता है। इससे दिल की नलियां संकरी हो जाती हैं। दूसरी तरफ, एचडीएल अच्छा कोलेस्ट्रॉल है, जो शरीर से अनचाहा एलडीएल हटाकर इसे लिवर तक पहुंचाता है। महिलाओं में एचडीएल की सही मात्रा 50 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से ऊपर मानी जाती है। तीसरा है ट्राइग्लिसराइड्स, जो अतिरिक्त शक्कर और कार्ब्स से बनते हैं और सर्दियों में मीठा ज्यादा खाने से तेजी से बढ़ जाते हैं।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि यह धमनियों को धीरे-धीरे कठोर बना देता है। यही आगे चलकर बीपी बढ़ाता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा देता है। कई लोग नहीं जानते कि खराब रक्त प्रवाह दिमाग तक ऑक्सीजन की कमी भी कर देता है, जिससे ब्रेन-फॉग, भूलने की आदत और भारीपन महसूस होता है। शरीर में सूजन बढ़ना, थकान, नींद में कमी और जोड़ों में दर्द भी इसी श्रेणी में आते हैं।
घरेलू उपाय की बात करें, तो सुबह खाली पेट गुनगुना पानी और थोड़ा नींबू शरीर की चिपचिपाहट कम करने में मदद करता है। रोज 5 बादाम और 1 अखरोट एचडीएल बढ़ाने का आसान तरीका है। मेथी के दाने रातभर भिगोकर खाना, लहसुन की 1–2 कली खाली पेट, और रात को हल्दी दूध ये सभी शरीर में जमा वसा को कम करने और सूजन घटाने में मदद कर सकते हैं।
रोज 20 मिनट तेज वॉक भी बेहद असरदार है। जौ या सत्तू का शर्बत हफ्ते में दो बार लेना और 70 प्रतिशत पेट भरकर खाना भी बेहतर आदतें हैं। तली चीजें और मिठाई को एक साथ न खाना और धनिया-पानी जैसे हल्के घरेलू उपाय भी वजन और लिपिड लेवल को संतुलित रखने में सहायक हो सकते हैं।

