कांग्रेस का एमपी सरकार पर निशाना, ‘उज्जैन लैंड पूलिंग एक्ट का निरस्त होना किसानों की बड़ी जीत’

0
21

भोपाल, 18 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ की तैयारियों के लिए सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट लाया था, जिसे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किसानों के विरोध के चलते निरस्त कर दिया है। सरकार के इस फैसले को कांग्रेस किसानों की जीत बता रही है। कांग्रेस के तमाम नेताओं ने सरकार के फैसले को किसानों के दबाव में लिया गया फैसला बताया है।

तराना विधायक महेश परमार ने कहा कि उज्जैन क्षेत्र के लगभग 19 गांवों के किसानों की जमीन को सरकार लैंड पूलिंग एक्ट के माध्यम से बिना उचित मुआवजा दिए, बिना उनकी सहमति के हड़पना चाहती थी। यह किसानों पर थोपे गए काले कानून से कम नहीं था। परमार ने मांग की है कि मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि क्या पूरे मध्य प्रदेश में लैंड पूलिंग एक्ट पूर्णतः समाप्त किया जाएगा? क्या मनमोहन सिंह की सरकार और राहुल गांधी द्वारा किसानों के लिए बनाया गया चार गुना मुआवजे का प्रावधान पुनः लागू किया जाएगा, ताकि किसानों की जमीन लेने पर उन्हें न्यायपूर्ण मुआवजा मिल सके।

उपाध्यक्ष (संगठन) एवं पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि वर्तमान सरकार पहले से ही शराब माफिया और रेत माफिया की सरकार के रूप में जानी जाती है। अब वही सरकार महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैन और आसपास के किसानों के साथ घोर अन्याय कर रही थी।

वहीं, मध्य प्रदेश में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का निर्णय लिया था, जिसमें 1 लाख तक के चालू खाते और 2 लाख तक के डिफॉल्टर खाते शामिल थे। मनमोहन सिंह सरकार ने किसानों के लिए जमीन अधिग्रहण पर चार गुना मुआवजे का प्रावधान किया था, जिसे बाद में भाजपा की सरकार ने बदलकर उद्योगपतियों के पक्ष में और किसानों के खिलाफ कर दिया।

उज्जैन शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी ने आरोप लगाया कि सरकार ने आधी रात को किसानों को घरों से उठाकर डराने-धमकाने की कोशिश की। माताओं, बहनों और किसानों ने डटकर मुकाबला किया। महाकाल की नगरी को छावनी में बदल दिया गया था। किसानों की वेशभूषा में आने वाले लोगों तक को महाकाल के दर्शन से रोका गया। उसके बाद भी किसान अपने इरादे से पीछे नहीं हटे। परिणाम स्वरुप सरकार को एक्ट निरस्त करना पड़ा।