कांग्रेस ने मणिपुर विधानसभा को भंग करने की उठाई मांग, डबल इंजन की सरकार को बताया विफल

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इंफाल, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने सोमवार को मणिपुर विधानसभा को तत्काल भंग करने और नए चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार को पूरी तरह विफल बताया।

इंफाल स्थित कांग्रेस भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मेघचंद्र ने कहा कि 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से राज्य में कानून-व्यवस्था या विकास में कोई सुधार नहीं हुआ है, जिसे अब दूसरे कार्यकाल के लिए बढ़ा दिया गया है। उन्होंने दुख जताया कि आवश्यक योजनाएं अभी तक लागू नहीं हुई हैं और मणिपुर गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।

एमपीसीसी प्रमुख ने भाजपा और उसके सहयोगियों पर सरकार बनाने के झूठे आश्वासन देकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मणिपुर की जनता ने भाजपा को नकार दिया है। आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) राहत शिविरों में कष्ट झेल रहे हैं, क्योंकि तत्कालीन मुख्य सचिव पीके सिंह द्वारा घोषित पुनर्वास योजना अभी तक लागू नहीं हो पाई है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधानसभा को तत्काल भंग कर नए चुनाव कराने की मांग करती है। मेघचंद्र ने जोर देकर कहा कि लोग निराश हैं और डबल इंजन वाली सरकार में कोई उम्मीद नहीं बची है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस वर्तमान विधानसभा की स्थिति पर स्पष्टता के लिए संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत अदालत जाने पर भी विचार कर रही है, जिसे उन्होंने अनिश्चित और अप्रभावी बताया।

इसके साथ ही उन्होंने शिलांग स्थित ऐतिहासिक मणिपुर राजबाड़ी के विध्वंस की भी निंदा की और एनपीपी अध्यक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर स्पष्टीकरण दिया। एमपीसीसी के अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह ने रेडलैंड्स, लैमुखरा, शिलांग स्थित ऐतिहासिक मणिपुर राजबाड़ी के विध्वंस की कड़ी निंदा की।

उन्होंने कहा कि यह स्थल मणिपुर के लोगों के लिए ऐतिहासिक, राजनीतिक और भावनात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सितंबर 1949 में भारत के साथ मणिपुर विलय समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान महाराजा बोधचंद्र सिंह यहीं निवास करते थे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि डबल इंजन सरकार की निगरानी में ऐसी विरासत संपत्ति का विध्वंस मणिपुर के इतिहास और पहचान के प्रति एक अक्षम्य लापरवाही और अनादर का कृत्य है। उन्होंने मांग की कि भारत सरकार और मेघालय सरकार तुरंत उन परिस्थितियों को स्पष्ट करें, जिनके तहत यह विध्वंस हुआ। इस स्थल को एक संरक्षित विरासत स्मारक के रूप में पुनर्स्थापित और संरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाए।