कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम बना सकते हैं नई पार्टी, सोशल मीडिया पर दिए संकेत

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नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने एक नए राजनीतिक दल की जरूरत बताई है जो जाति, धर्म और भाषा की राजनीति से ऊपर उठकर शहरी मुद्दों जैसे जीवन की सुगमता, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और सार्वजनिक सेवाओं पर केंद्रित हो। सोशल मीडिया पर इस संबंध में उनके पोस्ट से संकेत मिलता है कि वह एक नई पार्टी बनाने पर विचार कर रहे हैं।

कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मेरी राय में एक नया राजनीतिक दल (भारत में) जो केवल शहरी मुद्दों – जीवन की सुगमता, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और सार्वजनिक सेवा – पर केंद्रित हो; जो भावनात्मक मुद्दों (धर्म, जाति और भाषा) से रहित हो, उसे उचित स्तर पर स्वीकृति मिलेगी। (चूंकि कोई भी स्थापित राजनीतिक दल इन मुद्दों को गंभीरता से संबोधित नहीं करता है या इसे अपने एजेंडे में सबसे आगे नहीं रखता है।)”

कार्ति चिदंबरम का यह बयान कर्नाटक में हाल के समय में कांग्रेस सरकार की आलोचनाओं और देश में बढ़ती शहरीकरण के बीच आया है। साथ ही यह देश के विभिन्न राज्यों और पिछले कुछ चुनावों में जाति, धर्म और भाषा को लेकर जारी विवादों पर काटक्ष भी है। तमिलनाडु और महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय में भाषा विवाद पर काफी राजनीति देखने को मिली है। साथ ही कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में धर्म आधारित बयानबाजी भी छाई रही। वहीं, शहरी समस्याओं को लेकर राजनीतिक दलों का रवैया उदासीन बना हुआ है।

भारत में शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है। इसके बावजूद, शहरी बुनियादी ढांचे, ट्रैफिक प्रबंधन, स्वच्छता, और सार्वजनिक परिवहन जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। कार्ति चिदंबरम का यह बयान शहरी मतदाताओं की बढ़ती नाराजगी को दर्शाता है, जो इन मुद्दों के समाधान की मांग कर रहे हैं।

कार्ति चिदंबरम के इस विचार पर विपक्षी दलों ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बन गया है। कुछ यूजर्स ने उनके विचार का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे अव्यावहारिक करार दिया।

कार्ति चिदंबरम तमिलनाडु के शिवगंगा से सांसद हैं और अक्सर अपने स्पष्ट विचारों के लिए चर्चा में रहते हैं। उनके इस सुझाव से शहरी भारत में एक नई राजनीतिक बहस शुरू होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई नया राजनीतिक दल इस दिशा में कदम उठाता है या यह विचार केवल चर्चा तक सीमित रहता है।