कंवर्जेंस और समुदाय की सहभागिता से जल जीवन मिशन में आएगा स्थायित्व

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भोपाल : 06 फरवरी/ मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 60 फीसदी से ज्यादा घरों में सुरक्षित एवं कार्यशील घरेलू नल कनेक्शन दिया जा चुका है। एक ओर इसे सौ फीसदी तक ले जाने के लिए विभाग एवं स्वैच्छिक संस्थाएं समुदाय को साथ लेकर सघनता से काम कर रही हैं, तो दूसरी ओर क्रियाशील कनेक्शन एवं व्यवस्था में स्थायित्व लाने का प्रयास भी किया जा रहा है। जल जीवन मिशन से जुड़ी चुनौतियों एवं अनुभवों को साझा करने के लिए समर्थन संस्था ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल, जल जीवन मिशन, डब्ल्यू.एच.एच., जर्मन कोऑपरेशन, वाटर एड इंडिया, परमार्थ, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी सहित अन्य संस्थाओं एवं विकास एजेंसियों के साथ प्रशासन अकादमी में आज राज्य स्तरीय जन सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें 300 से ज्यादा जमीनी कार्यकर्ता एवं शासकीय कर्मचारियों, जन प्रतिनिधियों ने अधिकारियों एवं स्वैच्छिक संस्थाओं के वरिष्ठों के साथ अपने अनुभवों एवं जमीनी चुनौतियों को साझा किया।

कार्यक्रम के पहले दिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने कहा था कि इस संवाद के अनुभवों से क्रियान्वयन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। आज ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मलय श्रीवास्तव ने कहा कि स्थायित्व के मुद्दों का समाधान जरूरी है। पंचायत और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के साथ-साथ अन्य विभागों के बीच कंवर्जेंस करना होगा। बिजली बिल, कर वसूली, 15वें वित्त की राशि का उपयोग, मानदेय, संचालन और रखरखाव जैसे कई मुद्दे हैं, जिन पर विभागीय स्तर पर मंथन किया जाएगा। समर्थन संस्था के कार्यकारी निदेशक डॉ. योगेश कुमार ने संचालन करते हुए कहा कि दो दिनों की इस चर्चा ने भविष्य के रास्ते को ढूंढ़ा है। सम्मेलन में आए मुद्दों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार किया जाएगा, जिसे संबंधित विभागों के साथ साझा किया जाएगा।

वाटर एड इंडिया के मुख्य कार्यकारी वी.के. माधवन ने विमर्श में आए मुद्दों को साझा करते हुए बताया कि सहभागिता बढ़ने से नल जल व्यवस्था का संचालन एवं रखरखाव सुचारू तरीके से हो रहा है। समस्याओं के समाधान के लिए एक टोल फ्री नंबर होना चाहिए। वाटर टेस्टिंग रिपोर्ट ग्रामीणों के साथ साझा किया जाना चाहिए। जल सहेलियों एवं जल मित्रों को लेकर एक राज्य स्तरीय कैडर बनाया जा सकता है। पेयजल की उपलब्धता में समानता हो एवं छूटे हुए टोलों एवं परिवारों तक पहुंच बढ़ाया जाना चाहिए। स्थानीय जल स्रोतों को बेहतर करने एवं नए जल स्रोत बनाने के लिए भी कार्य करने की जरूरत है। परमार्थ संस्था के सचिव संजय सिंह ने बताया कि समुदाय की भागीदारी से ही समावेशी तरीके से काम हो सकता है। बुंदेलखंड में जल सहेलियों की बदौलत बेहतर कार्य हुआ है। जल निगम के प्रबंध संचालक श्री वी.एच. चौधरी कोसलानी ने कहा कि स्थानीय स्तर पर पानी बचाने के उपाय करने होंगे। नल से पानी आने पर पानी का दुरूपयोग भी हो रहा है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करना होगा। जागरण लेकसिटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. बिस्वास, राजस्थान की उन्नति संस्था की सुश्री स्वप्नि, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री श्याम बोहरे, मनीष राजपूत सहित कई अतिथियों ने अपने विचार साझा किए। वाटर एड इंडिया के श्री अमर प्रकाश ने आभार व्यक्त किया।