दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल रॉय का विधायक पद रद्द, सुवेंद्रु अधिकारी ने फैसले को बताया ऐतिहासिक

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कोलकाता, 13 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में आए विधायक मुकुल रॉय का विधायक पद रद्द कर दिया है। साथ ही, उन्होंने विधानसभा के स्पीकर के उन्हें लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष बनाने के फैसले को भी खारिज कर दिया। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है।

जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस शब्बर रशीदी की बेंच ने विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

टीएमसी के दिग्गज नेता मुकुल रॉय 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2021 विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी टिकट पर कृष्णनगर दक्षिण सीट से जीत हासिल की, लेकिन चुनाव के एक महीने बाद, 11 जून 2021 को विधायक पद से इस्तीफा दिए बिना वे फिर टीएमसी में लौट गए। इसके बाद जुलाई 2021 में स्पीकर बिमान बनर्जी ने उन्हें पीएसी का अध्यक्ष बना दिया, जो परंपरागत रूप से विपक्ष के सदस्य के लिए होता है।

सुवेंदु अधिकारी ने 17 जून 2021 को ही स्पीकर से मुकुल को अयोग्य घोषित करने की मांग की, लेकिन स्पीकर ने फरवरी 2022 में याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने अप्रैल 2022 में स्पीकर के फैसले को रद्द कर एक बार फिर विचार करने का आदेश दिया। जून 2022 में स्पीकर ने दोबारा याचिका ठुकरा दी। इसके खिलाफ अधिकारी ने फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

लंबी सुनवाई के बाद 13 नवंबर 2025 को कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मुकुल रॉय का दलबदल साबित हो गया है। कोर्ट ने कहा, “दलबदल की तारीख से ही अयोग्यता लागू होती है। संवैधानिक पदाधिकारियों को समय पर फैसला लेना चाहिए, वरना लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है।”

सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर फैसले का स्वागत किया। उन्होंने लिखा, “पश्चिम बंगाल (और शायद भारत) में पहला ऐतिहासिक फैसला। कलकत्ता हाईकोर्ट की बेंच ने मुकुल रॉय को दलबदल के कारण विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया। यह मेरी याचिका पर सुनाया गया। स्पीकर के फैसले को रद्द कर सत्य की जीत हुई। संविधान की 10वीं अनुसूची की पवित्रता बरकरार रही।”