दिल्ली ब्लास्ट केस: ट्रायल की निगरानी के लिए दाखिल पीआईएल पर सुनवाई से हाईकोर्ट ने किया इनकार

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नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में ट्रायल की निगरानी के लिए दाखिल जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में ट्रायल के सभी स्टेज की निगरानी के लिए कोर्ट की निगरानी वाली कमेटी बनाने की मांग की गई थी।

एडवोकेट राजा चौधरी की ओर से दाखिल याचिका में अदालत से यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि ट्रायल के दौरान रोजाना की कार्रवाई और हर महीने की स्थिति (स्टेटस रिपोर्ट) ज्यूडिशियल कमेटी के समक्ष पेश की जाए। याचिका में इसे देश की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा और दिल्ली की जनता की मानसिक सुरक्षा पर हमला बताया गया।

याचिका में यह भी कहा गया था कि पीड़ितों के परिवार पूरी तरह अंधेरे में हैं। उन्हें यह नहीं पता कि उनके अपनों को क्यों मारा गया और किन ताकतों ने यह हमला करवाया। ऐसे में ट्रायल की पूरी प्रक्रिया की निगरानी बेहद जरूरी है।

हाईकोर्ट ने कहा कि अभी ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है। इसलिए ट्रायल के दौरान निगरानी संबंधी कोई आदेश देना उचित नहीं होगा। इसी कारण याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया गया।

यह ब्लास्ट 10 नवंबर को लाल किले के बाहर हुआ था। इस हमले में 13 लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए थे। घटना ने न केवल राजधानी दिल्ली बल्कि पूरे देश में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी थी।

इस हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई थीं और मामले की जांच तेज कर दी गई थी। हालांकि, पीड़ितों के परिवार अब भी ब्लास्ट के कारण हुई त्रासदी और जिम्मेदारियों के बारे में पूरी जानकारी से वंचित हैं।

इस मामले में मंगलवार को पटियाला हाउस स्थित स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी आमिर रशीद अली की कस्टडी सात दिन और बढ़ाने की मंजूरी दी गई थी। अदालत का यह फैसला उस वक्त आया, जब आरोपी को उसकी 10 दिन की एनआईए रिमांड पूरी होने पर कोर्ट में पेश किया गया।

आमिर रशीद अली को 16 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने उसकी गिरफ्तारी के बाद अदालत से हिरासत बढ़ाने की मांग की थी ताकि ब्लास्ट से जुड़े अहम सुराग और साजिश की परतें खोली जा सकें।

एनआईए के अनुसार, आमिर उस कार का रजिस्टर्ड मालिक है, जिसका इस्तेमाल आत्मघाती हमलावर ने धमाके के दौरान किया था।