नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने इसे देश के लिए खतरा बताते हुए कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ऑफिस ने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उनके बयान को पोस्ट किया। उन्होंने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 अगस्त 2025 को लाल किले से की गई घोषणा का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि हाई-पावर्ड डेमोग्राफिक मिशन का गठन अवैध प्रवासन, धार्मिक-सामाजिक जीवन पर उसके प्रभाव, असामान्य बसावट पैटर्न और सीमा प्रबंधन पर असर का अध्ययन करेगा। इस मिशन से विवाद उठेंगे, लेकिन विवाद से बचने और देश, लोकतंत्र, संस्कृति को बचाने के बीच यदि चुनना पड़े, तो भाजपा हमेशा देश को चुनेगी।
उन्होंने भाजपा की नीति ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’ का उल्लेख किया और कहा, “हम घुसपैठियों को डिटेक्ट करेंगे, मतदाता सूची से डिलीट करेंगे और देश से डिपोर्ट करेंगे।”
उन्होंने कहा, “गुजरात और राजस्थान में सीमाएं हैं, लेकिन वहां घुसपैठ नहीं होती, क्योंकि वहां सख्ती बरती जाती है।”
उन्होंने असम का उदाहरण दिया, जहां 2011 की जनगणना में मुस्लिम आबादी की दशकीय वृद्धि दर 29.6 प्रतिशत थी, और कहा, “यह घुसपैठ के बिना संभव नहीं। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में यह 40 प्रतिशत है, और सीमावर्ती क्षेत्रों में 70 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह घुसपैठ का स्पष्ट प्रमाण है।”
उन्होंने पाकिस्तान-बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए भारत के दरवाजे खोलने की बात करते हुए कहा, “जितना मेरा अधिकार इस देश की मिट्टी पर है, उतना ही उनका। लेकिन जो धार्मिक प्रताड़ना के बिना आर्थिक या अन्य कारणों से आते हैं, वे घुसपैठिए हैं। कोई भी आ जाए, तो देश धर्मशाला बन जाएगा। 1951 में हिंदू 84 प्रतिशत, मुस्लिम 9.8 प्रतिशत। 1971 में हिंदू 82 प्रतिशत, मुस्लिम 11 प्रतिशत। 1991 में हिंदू 81 प्रतिशत, मुस्लिम 12.21 प्रतिशत, और 2011 में हिंदू 79 प्रतिशत और मुस्लिम 14.2 प्रतिशत हैं। वहीं, अब मुस्लिम आबादी 24.6 प्रतिशत हो गई। यह घुसपैठ के कारण हुई।”