फर्रुखाबाद, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। 31 सप्ताह के कड़े प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद मंगलवार को 565 अग्निवीर और रिक्रूट्स फतेहगढ़ राजपूत रेजीमेंट में शामिल हो गए। यह भव्य पासिंग आउट परेड फतेहगढ़ के करिअप्पा मैदान में आयोजित हुई, जिसका निरीक्षण ब्रिगेडियर माइकल डिसूजा, युद्ध सेवा मेडल कमांडेंट फतेहगढ़ राजपूत रेजीमेंट सेंटर ने किया। परेड का नेतृत्व अग्निवीर रिक्रूट दुष्यंत प्रताप सिंह ने किया।
परेड में अग्निवीरों के उत्साह और जोश से पूरा रेजीमेंट परिसर गूंज उठा। उनके माता-पिता और परिवारजन भी उपस्थित थे और उन्होंने अपने बच्चों को सैनिक वर्दी में देखकर गर्व महसूस किया।
अग्निवीरों ने पिछले 31 सप्ताह कठिन प्रशिक्षण के दौरान कर्तव्य, निष्ठा, सम्मान और बलिदान के उच्च मूल्यों को सीखा और अब देश भर में राजपूत रेजीमेंट की विभिन्न बटालियनों में सेवा करने के लिए तैयार हैं।
इस बैच में कुल 427 अग्निवीर और 138 प्रादेशिक सेना रिक्रूट्स ने प्रशिक्षण पूरा किया। बैच 6 के अग्निवीर यश चौहान को ‘ओवरऑल बेस्ट इन मेरिट’ के लिए बेस्ट अग्निवीर पदक से सम्मानित किया गया।
राजपूत रेजीमेंट सेंटर के कमांडेंट ने सभी अग्निवीरों और रिक्रूट्स को बधाई दी और उन्हें राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि राजपूत परिवार का हिस्सा बनना गर्व की बात है, और अब प्रशिक्षण के दौरान सीखी गई चीजों को देश की सेवा में लाने का समय है। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध और सुरक्षा के बदलते तरीकों से निपटने के लिए नई तकनीक सीखते रहना जरूरी है।
अग्निवीर महावीर सिंह राठौर ने बताया कि यह उनके जीवन का सबसे खुशी का दिन है और वह विजय या वीरगति के संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे। अग्निवीर प्रमोद सिंह ने कहा कि भारतीय सेना में शामिल होकर उन्हें बहुत खुशी है। उन्होंने अपने माता-पिता और परिवार को श्रेय दिया और कहा कि मेहनत करने वाले युवा अपने सपने जरूर पूरे कर सकते हैं।
अग्निवीरों के परिवारजन भी बेहद खुश थे। वीणा सिंह ने बताया कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनके बेटे को देश की सेवा का मौका मिला। उन्होंने पूरे परिवार की मेहनत और समर्थन का श्रेय दिया, खासकर अपने देवर को।
एक अन्य परिजन और भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ने बताया कि उनका बेटा भी आज अग्निवीर में शामिल हुआ और यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है। उनका मानना है कि युवाओं को देश की सेवा के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

