ट्रंप और जेलेंस्की के बीच बढ़ती तल्खी: क्या कूटनीति सौजन्यता से दूर हो रही है?

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रानी शर्मा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात अब सुर्खियों में है। यह मुलाकात महज़ एक औपचारिक बैठक नहीं रही, बल्कि इसमें जो तीखी बहस और शब्दों की तल्खी सामने आई, उसने कूटनीति में सौजन्यता और गरिमा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

व्हाइट हाउस में गरमागरमी

व्हाइट हाउस में ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच हुई बातचीत की फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस बैठक में ट्रंप ने जेलेंस्की पर तीसरे विश्व युद्ध को लेकर जुआ खेलने का आरोप लगाया, वहीं वेंस ने यूक्रेनी राष्ट्रपति पर अमेरिका का अपमान करने का आरोप लगाया। तीखी बहस के दौरान ट्रंप ने जेलेंस्की को कई बार टोका और यहाँ तक कि उन्हें फटकार भी लगाई। इसके बाद जेलेंस्की नाराज होकर बैठक से बाहर निकलते दिखे।

2019 से बिगड़ते रिश्ते

ट्रंप और जेलेंस्की के रिश्ते 2019 से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं। यह वही साल था जब ट्रंप ने जेलेंस्की से डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडेन और उनके बेटे हंटर बाइडेन के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने का आग्रह किया था। इस विवाद ने ट्रंप के पहले महाभियोग का रास्ता भी साफ किया था।

ट्रंप पर आरोप लगा था कि उन्होंने अमेरिकी चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप कराने की कोशिश की थी, जिसके चलते उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा। हालांकि, बाद में सीनेट ने उन्हें बरी कर दिया। लेकिन इसके बाद से ही ट्रंप और जेलेंस्की के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती चली गई।

बाइडेन की भूमिका और रूस-यूक्रेन युद्ध

जब जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने यूक्रेन को खुला समर्थन दिया और रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसके विपरीत, ट्रंप ने हमेशा यूक्रेन की क्षमता और अमेरिकी सहायता पर सवाल उठाया। ट्रंप ने यहाँ तक कहा कि वे सीधे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध समाधान पर चर्चा करेंगे।

हाल ही में जेलेंस्की ने ट्रंप पर “गलत सूचनाओं की दुनिया में रहने” का आरोप लगाया था। यह तब हुआ जब ट्रंप ने जेलेंस्की को “तानाशाह” कहकर संबोधित किया था। इस बयानबाजी ने दोनों नेताओं के बीच की तल्खी को और बढ़ा दिया।

कूटनीति में सौजन्यता का अभाव?

इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह सवाल उठता है कि क्या कूटनीति से अब सौजन्यता और तहजीब खत्म हो रही है? क्या वैश्विक राजनीति अब सिर्फ़ आरोप-प्रत्यारोप और आक्रामकता तक सीमित रह गई है?

अमेरिकी राजनीति में दक्षिणपंथी नेताओं को लेकर एक खास छवि बनाई गई है कि वे खुले विचारों और कूटनीतिक गरिमा की परवाह नहीं करते। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था, “जब क्लिंटन और टोनी ब्लेयर वैश्विक वामपंथी नेटवर्क बनाते हैं, तो उन्हें महान राजनेता कहा जाता है। लेकिन जब ट्रंप, मोदी और मिलेई जैसे नेता एकजुट होते हैं, तो इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया जाता है।”

क्या यह नया वैश्विक राजनीतिक दौर है?

ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जारी यह तनाव न केवल अमेरिका-यूक्रेन संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कूटनीति अब पहले जैसी नहीं रही। बातचीत में संयम और गरिमा की जो उम्मीद की जाती थी, वह अब कमजोर होती दिख रही है।

क्या यह वैश्विक राजनीति का नया दौर है, जहाँ आक्रामकता और व्यक्तिगत हमले ही कूटनीतिक संवाद का हिस्सा बन चुके हैं? यह सवाल सिर्फ अमेरिका और यूक्रेन तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण विश्व राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण विचारणीय विषय बन चुका है।

लेखिका खरीन्यूज़ की सम्पादक हैं.