करनाल, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या पर सवाल उठाए हैं। शनिवार को करनाल पहुंचे कांग्रेस सांसद ने कहा कि एडीजीपी रैंक के वरिष्ठ और होनहार आईपीएस अधिकारी को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा हो तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या चल रहा होगा। उसके बाद न्याय में विलंब हुआ।
उन्होंने कहा कि विलंब के कारण उनकी धर्मपत्नी को पुलिस कंप्लेंट करनी पड़ी है। उनकी पत्नी की तरफ से की गई शिकायत में जातिगत उत्पीड़न के आरोप उन पर लगे हैं जो खुद कानून-व्यवस्था के मुख्य संरक्षक हैं। पूरा सिस्टम संदेह के घेरे में है। जब न्याय देने वाले ही आरोप के घेरे में हों तो पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय वाई पूरन कुमार खुद वरिष्ठ आईपीएस थे और उनकी पत्नी हरियाणा कैडर में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। ऐसे में उनको न्याय न मिलना हैरानी की बात है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश न्याय चाहता है और न्याय तब होगा जब स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। लेकिन, पिछले 2-3 दिनों में न्याय का चक्र जिस गति से घूमना चाहिए, नहीं घूम रहा। आज परिवार की बिना सहमति के पोस्टमार्टम तक की बात सामने आई, यह स्वीकार्य नहीं है। न्याय होना चाहिए और न्याय होते हुए देश को दिखना भी चाहिए, क्योंकि ये बेहद गंभीर मामला है।
हम पूरी तरह से पीड़ित परिवार के साथ हैं। जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर हमारी मांग है कि न्याय हो और न्याय में देरी न हो। दलित समाज समेत पूरा देश आज देश-प्रदेश की सरकार की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है कि न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार के असामयिक निधन पर आज चंडीगढ़ स्थित उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिवार से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त की।
कांग्रेस सांसद ने इससे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हरियाणा के एडीजीपी रैंक के सीनियर होनहार आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की आत्महत्या की घटना देश के लिए एक बहुत ही गंभीर मामला है। सुसाइड नोट के आधार पर उनकी पत्नी ने वरिष्ठतम पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया है। ये पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान हैं।
सिस्टम पर विश्वास स्थापित करने के लिए न केवल न्याय होना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए भी देश को दिखना चाहिए। न्याय तभी होगा जब निष्पक्ष जांच हो और कोई जांच को प्रभावित न कर पाए। जांच में जो भी दोषी हों उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले, ये सुनिश्चित करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है।