मुंबई, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में लगभग 127 कंपनियां नेट-जीरो लक्ष्यों प्राप्ति को प्रतिबद्ध हैं। हाल ही आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
आईसीआरए ईएसजी रेटिंग्स की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, 127 में से 7 प्रतिशत कंपनियां निर्माण सामग्री और खनन जैसे उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्रों से जुड़ी हैं, जबकि दूसरी कंपनियां कपड़ा, सॉफ्टवेयर और सेवाओं जैसे क्षेत्रों से हैं।
भारतीय कंपनियों द्वारा एसबीटीआई प्रतिबद्धताओं पर रिपोर्ट से पता चलता है कि बिजली क्षेत्र में विशेष रूप से नेट-जीरो प्रतिबद्धताओं वाली कंपनियों के बीच रिन्यूएबल एनर्जी की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन में कमी आई है।
एसबीटीआई एक स्वैच्छिक लक्ष्य-निर्धारण पहल है जिसके तहत कंपनियां विज्ञान-आधारित लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकती हैं और अपने उद्देश्यों का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और सत्यापन करवा सकती हैं।
यूके दुनिया भर में सबसे आगे है जहां एसबीटीआई नेट-जीरो लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध कंपनियों की संख्या सबसे अधिक है और भारत इसी क्रम में छठे स्थान पर अपनी जगह बनाता है। दूसरी ओर, चीन में ऐसी प्रतिबद्धताओं वाली कंपनियों की हिस्सेदारी सबसे कम पाई गई है।
आईसीआरए ईएसजी रेटिंग्स की मुख्य रेटिंग अधिकारी शीतल शरद ने कहा, “हमारे निष्कर्ष नेट-जीरो लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर देते हैं।
एसबीटीआई के साथ तालमेल बिठाना जलवायु रणनीतियों को बढ़ाने, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने और इनोवेशन और नियामक समर्थन की आवश्यकता को उजागर करने का एक अच्छा तरीका है।”
शरद ने सुझाव दिया कि लक्ष्य निर्धारण के लिए दिशानिर्देश विकसित करते समय, उन्हें “भारत जैसे विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के नेतृत्व वाली वृद्धि पर विचार करना चाहिए। यह अधिक संस्थाओं को प्रोत्साहित करेगा”।
भारत में लगभग 25 कंपनियां जो कि बिजली, सीमेंट और खनन क्षेत्रों से थीं, बिजली क्षेत्र में रिन्यूएबल एनर्जी अपनाने की ओर एक बड़े बदलाव का संकेत दे रही हैं, जबकि कोयला आधारित उत्पादन अभी भी प्रचलित है।
सीमेंट क्षेत्र में, क्लिंकर उत्पादन के कारण उच्च उत्सर्जन को वैकल्पिक ईंधन और कार्बन कैप्चर तकनीकों के माध्यम से कम किया जा रहा है।
धातु और खनन क्षेत्र में उत्सर्जन के विभिन्न स्तर देखने को मिलते हैं, जिसमें नेट-जीरो प्रतिबद्धता वाली कंपनियों के बीच सस्टेनेबल प्रैक्टिस को अपनाने की दर अधिक है।
इसके अलावा, रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले छह वर्षों में केवल कुछ ही कॉर्पोरेट कंपनियां ही अपने पूर्ण उत्सर्जन (लगभग 11 प्रतिशत की गिरावट) को कम करने में सफल रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली, ऊर्जा और सीमेंट क्षेत्र की 10 प्रतिशत से भी कम कंपनियां ने एसबीटीआई के माध्यम से नेट-जीरो लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जो कि भारत के कुल उत्सर्जन में लगभग 55 प्रतिशत का योगदान देती हैं।
इससे संकेत मिलता है कि यह नेट-जीरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है क्योंकि उच्च उत्सर्जन वाली कंपनियां अभी भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध नहीं हैं।