भारत में 56 प्रतिशत नियोक्ता चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने की बना रहे योजना : रिपोर्ट

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    नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत में 56 प्रतिशत नियोक्ता चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने का इरादा रखते हैं। वहीं, 27 प्रतिशत नियोक्ता स्थिरता बनाए रखने की योजना बना रहे हैं, जबकि 17 प्रतिशत नियोक्ताओं को रेशनलाइजेशन की उम्मीद करते हैं। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

    बड़े उद्यम हायरिंग की गति को बढ़ा रहे हैं, जबकि मध्यम और छोटे व्यवसाय अधिक सतर्क और रिटर्न-फर्स्ट अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

    एक प्रमुख स्टाफिंग फर्म, टीमलीज सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि और जीएसटी सुधारों के कारण मजबूत विकास पथ पर अग्रसर है, इसलिए नियोक्ता अपनी कर्मचारियों की रणनीतियों को रियल बिजनेस आउटकम और फेस्टिव डिमांड साइकल के अनुरूप बना रहे हैं।”

    जून से अगस्त तक 23 उद्योगों और 20 शहरों के 1,251 नियोक्ताओं के सर्वे पर बेस्ड रिपोर्ट बताती है कि रोजगार वृद्धि में अग्रणी क्षेत्रों में ई-कॉमर्स एंड टेक स्टार्टअप, लॉजिस्टिक्स और रिटेल शामिल हैं, जिनका अनुमानित शुद्ध रोजगार परिवर्तन (एनईसी) क्रमशः 11.3 प्रतिशत, 10.8 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत है।

    ऑटोमोटिव, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट भी लगातार विस्तार कर रहे हैं, जिसे पीएलआई और ईएमपीएस जैसे नीतिगत प्रोत्साहनों, स्थानीयकरण प्रयासों और मजबूत घरेलू खपत का समर्थन प्राप्त है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि ये उद्योग मिलकर भारत के रोज़गार बाज़ार के लचीलेपन और अनुकूलनशीलता को दर्शाते हैं, जहाँ तकनीक, खपत और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश कार्यबल की मांग को बढ़ा रहे हैं।

    टीमलीज सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बालासुब्रमण्यम ए ने कहा, “भारत का वर्कफोर्स एक परिवर्तनकारी दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां ट्रेडिशनल हायरिंग अप्रोच टारगेटेड और स्किल-ड्रिवन रणनीतियों का स्थान ले रही हैं।”

    उन्होंने कहा, “हमारी रिपोर्ट के अनुसार, 61 प्रतिशत नियोक्ता एंट्री-लेवल रोल के लिए सेलेक्टिव परफॉर्मेंस-बेस्ड अप्रोच अपना रहे हैं। क्षमता-आधारित, प्रदर्शन-आधारित प्रथाओं को अपनाकर कंपनियाम न केवल आज की व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं, बल्कि एक मजबूत और फ्यूचर-रेडी वर्कफोर्स भी तैयार कर सकती हैं।”

    रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्कफोर्स में बदलाव सभी जगहों पर समान रूप से दिखाई दे रहा है। बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई, टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस उद्यमों के केंद्रीकरण के कारण नियुक्ति के मामले में सबसे आगे बने हुए हैं।