‘हमें अपमानित किया गया’, अफगान शरणार्थियों ने सुनाई पीड़ा

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काबुल, 3 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों की डिपोर्टेशन की तीसरी फेज तेज कर दी है। खासकर सिंध और पंजाब के बाद अब खैबर पख्तूनख्वा में यह प्रक्रिया शुरू हो गई है।

अफगान शरणार्थियों ने बताया कि वे ‘अपमानित’ महसूस कर रहे थे और पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनसे दस्तावेज बनाने के नाम पर राशि की मांग भी की।

टोलो न्यूज ने पाकिस्तानी गृह मंत्रालय के हवाले से बताया कि सभी प्रांतीय सरकारों को निर्देश दिए गए हैं कि बिना वैध वीजा और पासपोर्ट रखे अफगान नागरिकों को गिरफ्तार कर निकाला जाए, क्योंकि उनकी मौजूदगी पाकिस्तान में गैरकानूनी है।

तोरखम कस्बे के ओमारी अस्थायी शिविर में मोहम्मद हाशिम मैवंडवाल ने बताया कि लौटने वालों के लिए संगठित व्यवस्थाएं की गई हैं। ट्रांसपोर्ट समिति उनकी यात्रा का खर्च उठाती है और सुनिश्चित करती है कि वे अपने प्रांतों तक पहुंच जाएं।

हाशिम मैवंडवाल के मुताबिक, हेल्थ कमेटी ने इलाज के लिए क्लीनिक बनाए हैं। टेंट की व्यवस्था भी की गई है ताकि लौटने वाले रुके रहें। वित्त समिति हर व्यक्ति को 8,000 से 10,000 अफगानी रुपए दे रही है।

कई परिवारों के पास वैध पीओआर (प्रूफ ऑफ रेजिस्ट्रेशन) कार्ड होने के बावजूद उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनके साथ बुरा व्यवहार किया।

जियाउल हक ने कहा, “हमें अपनी धरती पर वापस आकर खुशी हुई। पाक में अफगान शरणार्थियों का अपमान होता है।”

हेदायतुल्लाह ने कहा, “हमारे पास वैध दस्तावेज, पीओआर कार्ड था, फिर भी हमारा बहुत बुरा हाल हुआ। घर से बुलाया गया कि अब जल्दी आओ। सामान पैक हो गया था, लेकिन वहां बुरा व्यवहार हुआ।”

इंजमामुल हक, निवासी कुनार प्रांत, जो चार दशकों तक पाकिस्तान में रहे, उन्होंने बताया, “जब हम चेकपोस्ट पहुंचे, तो उन्होंने 2,00,000 पाकिस्तानी रुपए मांगे। दो दिन इंतजार कराया, दस्तावेज ले लिए, वाहन आने पर पैसे लिए, फिर दस्तावेज लौटाए और हमें निकाला।”

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि सितंबर 2023 से अब तक लगभग 12 लाख अफगान नागरिक पाकिस्तान से वापस आ चुके हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लौटने वालों की हालत बहुत खराब है और मानवतावादी संकट को रोकने के लिए तुरंत सहायता की जरूरत है।

यूएनएचसीआर ने बताया कि केवल 2025 में ही 3,15,000 से अधिक अफगान वापस आए, जिसमें लगभग 51,000 लोग पाकिस्तानी सरकार द्वारा जबरन निकाले गए थे।

पाकिस्तान में बढ़ते राजनीतिक और सुरक्षा दबाव के चलते लगभग 20 लाख अफगान शरणार्थियों की स्थिति में खतरा बढ़ रहा है, जो दशकों से वहां रह रहे हैं।