यूथ को:लैब नेशनल इनोवेशन चैलेंज के सातवें संस्करण का शुभारंभ, दिव्यांगों के लिए इनोवेशन को देगा बढ़ावा

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नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) और नीति आयोग ने सोमवार को 2024-2025 के लिए यूथ को:लैब नेशनल इनोवेशन चैलेंज के सातवें संस्करण का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य दिव्यांग लोगों के लिए इनोवेशन को बढ़ावा देना है।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ साझेदारी में इस चुनौती को इस साल असिस्टेक फाउंडेशन (एटीएफ) के सहयोग से लागू किया जाएगा। यह दिव्यांगजनों सहित युवा उद्यमियों को ऐसे नवीन समाधान विकसित करने के लिए आमंत्रित करता है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अवसरों और कल्याण तक पहुंच को बढ़ाते हैं।

इस पहल का उद्देश्य सामाजिक उद्यमिता और सतत विकास को बढ़ावा देना है।

नीति आयोग ने कहा, “यूएनडीपी और सिटी फाउंडेशन द्वारा 2017 में सह-निर्मित यूथ को:लैब का उद्देश्य नेतृत्व, सामाजिक इनोवेशन और उद्यमिता के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए युवाओं को सशक्त बनाना और उनमें निवेश करना है।”

बता दें कि इसे भारत में 2019 में अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग के सहयोग से शुरू किया गया था।

यूथ को:लैब ने अब तक भारत में छह राष्ट्रीय विषय-विशिष्ट युवा सामाजिक इनोवेशन और उद्यमिता संवाद आयोजित किए हैं। इसने 19,000 से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है और 2,600 युवा नेतृत्व वाली सामाजिक इनोवेशन और उद्यमिता टीमों के निर्माण या सुधार में समर्थन किया है।

दरअसल, यूथ को: लैब नेशनल इनोवेशन चैलेंज 2024-2025 समावेशी और सुलभ सहायक प्रौद्योगिकी (एटी), समावेशी शैक्षणिक प्रौद्योगिकी और कौशल विकास समाधान, सुलभ और समावेशी देखभाल मॉडल के लिए नवीन समाधान बनाने पर केंद्रित है।

यूएनडीपी की भारत की रेजिडेंट प्रतिनिधि डॉ. एंजेला लुसिगी ने कहा, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि युवा न केवल कल के नेता हैं, बल्कि वे आज के बदलाव लाने वालों में भी शामिल हैं। यह विश्वास यूथ को:लैब में समाहित है, जो अब अपने सातवें संस्करण में है। पहली बार यह दिव्यांगजनों द्वारा और उनके लिए शुरू की स्टार्टअप को प्राथमिकता देता है। हम जानते हैं कि विकलांगता-समावेशी विकास को बढ़ावा देना न केवल सही काम है, बल्कि एसडीजी को हासिल करने के लिए यह जरूरी है।”

एटीएफ के सीईओ और सह-संस्थापक प्रतीक माधव ने कहा, “कल्पना करें कि एआई दृष्टिबाधित व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम बनाता है या एआर/वीआर ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के लिए सीखने को बदल देता है। असिस्टिव टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम के रूप में हम दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए यूएनडीपी के साथ साझेदारी करने के लिए उत्साहित हैं।”