आंध्र सरकार ने जगन मोहन रेड्डी के आध्यात्मिक गुरु को आवंटित भूमि वापस ली

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अमरावती, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश में टीडीपी नीत एनडीए सरकार ने पिछली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार द्वारा विशाखापत्तनम के पास शारदा पीठम को आवंटित 15 एकड़ जमीन वापस लेने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

श्री शारदा पीठम के पुजारी स्वरूपानंदेंद्र सरस्वती को पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी का आध्यात्मिक गुरु माना जाता था। जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली पिछली सरकार ने पुजारी के अनुरोध पर 2021 में विशाखापत्तनम के उपनगर भीमुनिपट्टनम के पास पीठम को वैदिक विद्यालय स्थापित करने के लिए 15 एकड़ जमीन आवंटित की थी।

देश के कई मुख्यमंत्रियों के गुरु कहे जाने वाले पुजारी ने भूमि आवंटन से संबंधित सरकारी आदेश (जीओ) में संशोधन की मांग की थी ताकि जमीन का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सके। पिछली सरकार ने इस साल की शुरुआत में जीओ में संशोधन किया था।

आरोप थे कि पीठम को करोड़ों रुपये की जमीन औने-पौने दाम पर आवंटित की गई थी क्योंकि उसने जगन मोहन रेड्डी की जीत के लिए यज्ञ किया था।

इस साल जून में टीडीपी के नेतृत्व वाली एनडीए के भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद से ही भूमि आवंटन को रद्द करने की मांग उठ रही है। एनडीए सरकार में सहयोगी जन सेना, विशाखा जिला दलित एकता मंच, तेलुगु शक्ति और अन्य संगठनों ने मांग की थी कि सरकार जमीन वापस ले।

‘आंध्र प्रदेश साधु परिषद’ के अध्यक्ष श्रीनिवासनंद सरस्वती भी चाहते थे कि एनडीए सरकार शारदा पीठम को भूमि आवंटन रद्द करे। वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर विशाखा शारदा पीठम के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण की आड़ में कमर्शियल उद्देश्यों के लिए भूमि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।

चंद्रबाबू नायडू ने जुलाई में कहा था कि पीठम को यह कीमती जमीन महज एक लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से आवंटित की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के पांच साल के शासन के दौरान 35,000 करोड़ रुपये की कीमत की 1.75 लाख एकड़ जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया था।

नायडू ने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही गुजरात की तर्ज पर आंध्र प्रदेश भूमि अधिग्रहण अधिनियम लाएगी, ताकि भूमि अधिग्रहण से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून लागू होने के बाद, अवैध रूप से किसी भी भूमि पर कब्जा करने वालों को यह साबित करना होगा कि वह भूमि उनकी है।