ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने की कैंसर से लड़ने में मददगार ‘प्रोटीन’ की खोज

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नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है, जो कैंसर के इलाज और उम्र बढ़ने से संबंधित बीमारियों को कम करने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सिडनी के चिल्ड्रन्स मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने प्रोटीन की खोज की, जो टेलोमेरेस एंजाइम को नियंत्रित करते हैं। एंजाइम कोशिका विभाजन के दौरान डीएनए की सुरक्षा करता है। यह खोज कैंसर और उम्र बढ़ने से संबंधित बीमारियों के इलाज में नए रास्ते खोल सकती है।

टेलोमेरेस एक एंजाइम है, जो कोशिकाओं के डीएनए को सुरक्षित रखता है, जिससे स्वस्थ उम्र बढ़ने में मदद मिलती है। लेकिन, कैंसर कोशिकाएं इसका उपयोग तेजी से बढ़ने के लिए करती हैं। शोधकर्ताओं ने कुछ प्रोटीन खोजे हैं, जो टेलोमेरेस को नियंत्रित करते हैं। इस प्रोटीन से कैंसर को रोकने या उम्र बढ़ने को धीमा करने की नई दवाएं बनाई जा सकती हैं।

टेलोमेरेस एक एंजाइम है जो क्रोमोसोम के सिरों, यानी टेलोमेरेस को सुरक्षित रखता है। यह टेलोमेरेस में डीएनए जोड़कर उन्हें क्षति से बचाता है, जो आनुवंशिक स्थिरता के लिए जरूरी है। स्टेम कोशिकाओं और कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है, लेकिन कैंसर कोशिकाएं इसका दुरुपयोग करके अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं।

सिडनी के सीएमआरआई शोधकर्ताओं ने नए प्रोटीन की खोज की है, जो टेलोमेरेस एंजाइम को नियंत्रित करते हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, तीन प्रोटीन- नोनो, एसएफपीक्यू और पीएसपीसी1 टेलोमेरेस को क्रोमोसोम के सिरों तक पहुंचाते हैं। कैंसर कोशिकाओं में इन प्रोटीन को बाधित करने से टेलोमेरेस की देखभाल रुकती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रुक सकती है।

शोध के मुख्य लेखक एलेक्जेंडर सोबिनॉफ ने बताया, “हमारी खोज दिखाती है कि ये प्रोटीन कोशिका के अंदर टेलोमेरेस को सही जगह तक पहुंचाने वाले ट्रैफिक कंट्रोल की तरह काम करते हैं।”

उन्होंने आगे बताया, “इन प्रोटीन के बिना टेलोमेरेस को ठीक नहीं रखा जा सकता, जिससे स्वस्थ उम्र बढ़ने और कैंसर की प्रगति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

सीएमआरआई के टेलोमेरेस लेंथ रेगुलेशन यूनिट की प्रमुख और शोध की वरिष्ठ लेखिका हिल्डा पिकेट ने कहा कि टेलोमेरेस को नियंत्रित करने की समझ से कैंसर, उम्र बढ़ने और टेलोमेरेस की खराबी से जुड़े जेनेटिक डिसऑर्डर के इलाज के लिए नए उपचार विकसित करने की संभावनाएं खुलती हैं।