आयुर्वेद विनिर्माण क्षेत्र में बीते 10 वर्षों में 8 गुना वृद्धि देखी गई: प्रतापराव जाधव

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नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि आयुर्वेद विनिर्माण क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में आठ गुना वृद्धि हुई है।

उन्होंने यह बात 10वें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन और आरोग्य एक्सपो 2024 के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा- देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024 के उद्घाटन समारोह में सम्मिलित हुआ।

यह मंच आयुर्वेद की वैश्विक महत्ता को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा को जोड़कर एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की परिकल्पना की गई है। आइए, मिलकर आयुर्वेद की प्राचीन विरासत को और सशक्त बनाएं!

उन्होंने कहा है कि आज हम 5,500 से अधिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति में यहां एकत्र हुए हैं। जिनमें 54 देशों से 350 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी भी शामिल हुए। मुझे खुशी है कि यह सभी डिजिटल हेल्थ पर चर्चा करेंगे और आयुर्वेद पर इसके विभिन्न दृष्टिकोण पर अपनी बात रखेंगे।

उन्होंने कहा है कि 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में एक राष्ट्रव्यापी “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” शुरू किया गया था। आयुर्वेद सिद्धांतों के आधार पर एक करोड़ से अधिक व्यक्तियों की प्रकृति का मूल्यांकन करने वाली यह पहल एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मैं सभी से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और इस महत्वपूर्ण प्रयास में योगदान देने का अनुरोध करता हूं।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि हमारे पास अब आयुष ग्रिड के साथ तकनीक रूप से सक्षम समाधान उपलब्ध हैं। यह नवाचारों के साथ स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लाता है और प्रभावशीलता, सुरक्षा एवं सामर्थ्य को बढ़ाता है। उन्होंने यह भी कहा, “वैश्विक भागीदारों से 1.3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश पाइपलाइन में है।”

यह द्विवार्षिक कार्यक्रम विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन (डब्ल्यूएएफ) द्वारा आयोजित किया जाता है, जो विज्ञान भारती की एक पहल है।

इस चार-दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 5,500 से अधिक भारतीय प्रतिनिधियों और 54 देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने पंजीकरण कराया है। इस आयोजन में पूर्ण सत्रों के अलावा 150 से अधिक वैज्ञानिक सत्र एवं 13 सहयोगी कार्यक्रम शामिल होंगे।