ढाका, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश की कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने अंतरिम सरकार के कई सलाहकारों पर प्रशासन को “पक्षपातपूर्ण” बनाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
स्थानीय मीडिया की ओर से बुधवार को जानकारी दी गई कि जमात नेता सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने ढाका में एक कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान यूनुस सरकार पर निशाना साधा। इस कार्यक्रम में जमात, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश और पांच अन्य इस्लामी दल शामिल हुए।
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र, द डेली स्टार ने जमात नेता के हवाले से कहा, “हमारे पास उन सलाहकारों के नाम हैं जो साजिशों में शामिल हैं। हमारे पास उनकी आवाज की रिकॉर्डिंग है। हम जानते हैं कि वे बैठकों में क्या कहते हैं। हम इसे अभी जनता के सामने उजागर नहीं कर रहे हैं क्योंकि हम उन्हें एक मौका देना चाहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “प्रशासन में जो स्थिति है और जो साजिशें चल रही हैं, उन्हें रोकना होगा। मैं आपको खुद को सुधारने का समय देना चाहता हूं। अगर आपने समय रहते चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया, तो हम नाम सार्वजनिक कर देंगे।”
इससे पहले मंगलवार को, इस्लामी नेताओं ने ढाका में जत्राबाड़ी से गबटोली तक एक मानव श्रृंखला बनाई, जिसमें अगले साल होने वाले चुनाव से पहले जनमत संग्रह, आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) प्रणाली और चार अन्य मांगें शामिल थीं।
बांग्लादेश के लोक प्रशासन मंत्रालय में एक सचिव की हालिया नियुक्ति की आलोचना करते हुए ताहिर ने कहा, “भ्रष्टाचार का लंबा रिकॉर्ड रखने वाले एक व्यक्ति को वहां नियुक्त किया गया है। वह एक खास पार्टी के प्रति पूरी तरह वफादार है और पहले उस पार्टी की छात्र और राजनीतिक शाखाओं में विभिन्न पदों पर रह चुका है।”
हालांकि, उन्होंने किसी खास पार्टी का नाम नहीं लिया और कहा, “हम देख सकते हैं कि चार से पांच सलाहकार एक खास पार्टी के पक्ष में सभी नियुक्तियों को नियंत्रित कर रहे हैं।”
बता दें, नवंबर तक जनमत संग्रह की पार्टी की मांग दोहराते हुए, जमात नेता ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “कुछ लोग यह कहकर इसे तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं कि जनमत संग्रह और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ होने चाहिए।”
दूसरी ओर, स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बीएनपी ने जुलाई चार्टर पर नवंबर में जनमत संग्रह कराने के जमात के आह्वान पर संदेह जताते हुए इसे राष्ट्रीय चुनाव को टालने के उद्देश्य से बनाई गई एक “मास्टर प्लान” का हिस्सा बताया।