कैबिनेट ने एनसीडीसी के लिए मंजूर की 2,000 करोड़ रुपए की अनुदान सहायता

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नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों की अवधि के लिए 2,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना अनुदान सहायता को मंजूरी दे दी है, जो प्रत्येक वर्ष 500 करोड़ रुपए के बराबर है।

कैबिनेट बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 2,000 करोड़ रुपए की इस अनुदान सहायता राशि के आधार पर, एनसीडीसी चार वर्षों की अवधि में ओपन मार्केट से 20,000 करोड़ रुपए जुटा सकेगा।

एनसीडीसी द्वारा इस धनराशि का उपयोग सहकारी समितियों को नई परियोजनाएं स्थापित करने, प्लांट के विस्तार और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण देने के लिए किया जाएगा।

एनसीडीसी को 2,000 करोड़ रुपए के अनुदान की फंडिंग भारत सरकार से बजटीय सहायता के माध्यम से होगा।

बयान में बताया गया है कि देश भर में डेयरी, पशुधन, मत्स्य पालन, चीनी, कपड़ा, फूड प्रोसेसिंग, स्टोरेज और कोल्ड स्टोरेज; श्रम और महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों की 13,288 सहकारी समितियों के लगभग 2.9 करोड़ सदस्यों को एनसीडीसी अनुदान की मंजूरी से लाभ मिलेगा।

एनसीडीसी इस योजना के लिए निष्पादन एजेंसी होगी, जिसका उद्देश्य परियोजना के वितरण, फॉलो अप, कार्यान्वयन की निगरानी और निधि से वितरित ऋण की वसूली करना होगा।

बयान में कहा गया है कि यह अपने दिशानिर्देशों के अनुसार सहकारी समितियों को राज्य सरकार के माध्यम से या सीधे ऋण प्रदान करेगा। जो सहकारी समितियां एनसीडीसी के प्रत्यक्ष वित्तपोषण दिशानिर्देशों के मानदंडों को पूरा करती हैं, उन्हें स्वीकार्य सुरक्षा या राज्य सरकार की गारंटी के आधार पर सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करने पर विचार किया जाएगा।

बयान में आगे कहा गया है कि एनसीडीसी सहकारी समितियों को ऋण, नई परियोजनाएं स्थापित करने के लिए दीर्घकालिक ऋण के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के लिए मौजूदा परियोजना सुविधाओं के आधुनिकीकरण/विस्तार और उनके व्यवसायों को कुशलतापूर्वक और लाभप्रद रूप से चलाने के लिए कार्यशील पूंजी भी प्रदान करेगा।

इन सहकारी समितियों को प्रदान की गई धनराशि से आय-उत्पादक पूंजीगत परिसंपत्तियों का निर्माण होगा और सहकारी समितियों को कार्यशील पूंजी के रूप में आवश्यक लिक्विडिटी प्राप्त होगी।

बयान के अनुसार, आर्थिक लाभों के अलावा, सहकारी समितियां अपने लोकतंत्र, समानता और सामुदायिक सरोकारों के सिद्धांतों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक अंतर को पाटने और वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए एक आवश्यक साधन हैं।

ऋणों की उपलब्धता सहकारी समितियों को उनकी क्षमता वृद्धि, आधुनिकीकरण, गतिविधियों के विविधीकरण, उनकी लाभप्रदता बढ़ाने और उन्हें अपनी उत्पादकता बढ़ाने, अधिक रोजगार सृजन करने और किसान सदस्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद करेगी।

बयान के अनुसार, इसके अतिरिक्त, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए टर्म लोन विभिन्न कौशल स्तरों पर व्यापक रोजगार के अवसर भी पैदा करते हैं।