चंद्रबाबू नायडू ने एपीपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग की

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अमरावती, 14 मार्च (आईएएनएस)। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग (एपीपीएससी) द्वारा भर्ती परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की।

चंद्रबाबू नायडू ने एपीपीएससी की ग्रुप-1 परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं में राज्य सरकार के कुछ वरिष्ठ व्यक्तियों के हाथ होने का संदेह जताया है। उन्होंने सच को सामने लाने और युवाओं को न्याय दिलाने के लिए सीबीआई जांच की मांग की।

चंद्रबाबू नायडू ने अफसोस जताया कि वाईएसआरसीपी के पांच साल के शासन के दौरान सभी सिस्टम ध्वस्त हो गए हैं। एपीपीएससी एक संवैधानिक संस्था है। एपीपीएससी को राजनीतिक लाभ का मंच बनाकर मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने ग्रुप-1 आंसर शीट के मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं कर लाखों युवाओं को धोखा दिया है।

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि एपीपीएससी के इतिहास में पहली बार इन परीक्षाओं में इतनी बड़ी अनियमितताएं क्यों हुई, इस बात को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। चंद्रबाबू नायडू ने डिजिटल और मैनुअल मूल्यांकन के नाम पर भ्रामक तरीकों का सहारा लेने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।

उन्होंने आरोप लगाया कि हाई-प्रोफाइल ग्रुप-1 पदों पर अपने खुद के लोगों को नियुक्त करने के लिए पदों को ऊंची कीमतों पर बेचा गया। इससे उन लोगों के साथ बहुत अन्याय हुआ जो वास्तव में इन पदों के लिए पात्र थे। चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी ने आंसर शीटों के मूल्यांकन से हाईकोर्ट का ध्यान हटाने के प्रयासों के अलावा एपीपीएससी को एक राजनीतिक पुनर्वास केंद्र बना दिया है।

चंद्रबाबू नायडू ने यह भी मांग की कि एपीपीएससी के अध्यक्ष गौतम सवांग और सचिव पी.एस रामंजनेयुलु को तुरंत निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ केस दर्ज कर कर जांच की जाए।

उन्होंने आगे कहा कि युवाओं के निराश होने की पूरी संभावना है। राज्य में न तो सरकारी और न ही निजी क्षेत्र में नौकरी हैं। जगन सरकार ने उन लाखों युवाओं को पूरी तरह से निराश किया है, जिन्होंने ग्रुप-1 पदों के लिए चयनित होने की उम्मीद में वर्षों तक कड़ी मेहनत की थी।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को परीक्षा रद्द कर दी थी।

अदालत ने एपीपीएससी को नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने, मानदंडों के अनुसार आसंर शीटों का मूल्यांकन करने और छह महीने के भीतर चयन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था।