कर्नाटक सरकार ने बसवन्ना को राज्य का सांस्कृतिक नेता घोषित किया

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बेंगलुरु, 18 जनवरी (आईएएनएस)। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने प्रभावशाली लिंगायत और दलित समुदायों को लुभाने के लिए गुरुवार को लोकसभा चुनाव से पहले कई बड़े फैसले लिए।

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 18वीं सदी के समाज सुधारक बसवन्ना को कर्नाटक का सांस्कृतिक नेता घोषित किया गया।

बसवन्ना को लिंगायत समुदाय द्वारा सम्मानित किया जाता है, जो कर्नाटक में भाजपा की मुख्य ताकत है। हालाँकि, हाल के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस समुदाय में पैठ बनाने में कामयाब रही और कुछ समर्थन हासिल किया।

हाल ही में लिंगायत संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सिद्दारमैया से मुलाकात की और मांग की कि बसवन्ना को कर्नाटक का सांस्कृतिक नेता घोषित किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने बेलगावी जिले में कित्तूर तालुक का नाम बदलकर लिंगायत समुदाय की योद्धा रानी के नाम पर “रानी चेनम्मा कित्तूर तालुक” करने पर सहमति जताई है, जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में शहीद हो गईं।

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में, सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय को दिए गए आंतरिक आरक्षण की समीक्षा के लिए अनुच्छेद 341 (3) में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेजने का फैसला किया है।

बैठक के बाद समाज कल्याण मंत्री डॉ. एच.सी. महादेवप्पा ने कहा: “हमने सभी दस्तावेज एकत्र किए और एजी और कानून सचिवों, अन्य कानूनी विशेषज्ञों के साथ चर्चा की और आज (गुरुवार) हमने एक निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा, “चूंकि कांग्रेस एससी सूची के अंतर्गत आने वाली 101 जातियों के लिए न्याय और आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, किसी भी समुदाय को सूची से हटाए बिना, अपर्याप्तता और पिछड़ेपन पर विचार करते हुए, हमने अनुच्छेद 341 (3) में संशोधन करने की सिफारिश की है। मंत्रिमंडल में निर्णय के बाद केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी जाएगी।”

उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने कहा था कि न्यायमूर्ति ए.जे. सदाशिव जांच आयोग की रिपोर्ट “अप्रासंगिक और बंद” है।

महादेवप्पा ने कहा, “हम सामाजिक न्याय और आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रहे हैं।”

खाद्य मंत्री के.एच. मुनियप्पा ने कहा कि संसद द्वारा संशोधन किए जाने के बाद एससी श्रेणी के तहत सभी 101 जातियों को न्याय देना संभव होगा।

उन्होंने कहा, “मैं एससी वर्ग के अंतर्गत आने वाले समुदायों से अपील करता हूं कि किसी भी समुदाय के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। अगर केंद्र सरकार संशोधन नहीं करती है, तो संघर्ष शुरू किया जाएगा।”

कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि राज्य विधानमंडल का सत्र 12 फरवरी से बुलाया गया है और राज्यपाल थावरचंद गहलोत उस दिन संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे।

उन्होंने कहा कि बजट 16 फरवरी को पेश किया जाएगा और सत्र 23 फरवरी तक चलेगा।

–आईएएनएस

एकेजे/