‘वोट चोरी’ विवाद पर पूर्व सीजेआई गवई बोले , कोर्ट को राजनीतिक लड़ाई का जरिया नहीं बनाना चाहिए (आईएएनएस साक्षात्कार)

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नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट को राजनीतिक लड़ाई के लिए एक प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी तब आई, जब कोर्ट ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) से जांच की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को सही समाधान के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करने की सलाह दी थी।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से ​​खास बातचीत में पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि कोर्ट को राजनीतिक लड़ाई का जरिया नहीं बनाया जाना चाहिए। न्यायपालिका का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ये लड़ाई वोटरों के सामने लड़ी जानी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि न्यायिक मंचों को राजनीतिक विवादों को निपटाने का जरिया नहीं बनना चाहिए।

उन्होंने कहा, “ऐसे कई मामले हुए हैं जहां नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए गए। मैंने खुले तौर पर कहा है कि न तो केंद्र और न ही राज्य की जांच एजेंसियों का राजनीतिक मकसद के लिए गलत इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने ऐसे दो मामले देखे। एक कर्नाटक के वरिष्ठ नेताओं से जुड़ा था जिन पर ईडी की कार्रवाई हुई थी और दूसरा सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद से जुड़ा था।”

पूर्व जस्टिस गवई ने आगे कहा, “दोनों मामलों में मैंने यह साफ कर दिया था कि जांच मशीनरी का इस्तेमाल राजनीतिक हिसाब बराबर करने के लिए नहीं किया जा सकता। मैंने दोनों मामलों में राहत दी, क्योंकि राजनीतिक झगड़े लोगों के सामने सुलझाए जाने चाहिए, अदालतों में नहीं।”

इस बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बार-बार भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और हरियाणा और कर्नाटक में यह मुद्दा उठाया है। कांग्रेस ने इन आरोपों को लेकर दिल्ली और बिहार में पब्लिक रैलियां भी की हैं। इसके जवाब में 272 जाने-माने नागरिकों (जिनमें रिटायर्ड जज, ब्यूरोक्रेट और मिलिट्री अधिकारी शामिल थे) ने चुनाव आयोग समेत संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिशों की निंदा करते हुए एक ओपन लेटर जारी किया था।

भारत के 52वें चीफ जस्टिस रहे बीआर गवई का करियर लंबा रहा है। हालांकि उन्होंने 1985 में अपनी वकालत शुरू की थी, लेकिन वे शुरू से ही कानून के राज से वाकिफ थे, क्योंकि उनका परिवार सोशल एक्टिविज्म में लगा हुआ था। अपने पूरे करियर में एक वकील, बॉम्बे हाई कोर्ट के जज, सुप्रीम कोर्ट के जज और आखिर में सीजेआई के तौर पर जस्टिस गवई ने न्यायिक कुशलता और कानून के राज के प्रति गहरा कमिटमेंट दिखाया।

आईएएनएस

वीकेयू/वीसी