दिल्ली के एल-जी ने ‘जल योजना‘ को लेकर केजरीवाल की आलोचना की, बोले : ‘कोई कागजात साझा नहीं किया गया’

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नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार की कथित ‘जल योजना’ पर आधिकारिक या अनौपचारिक रूप से कागज का एक टुकड़ा भी उनके संज्ञान में नहीं लाया गया।

पत्र इस बात से शुरू होता है कि जल, वित्त और शहरी विकास सहित जल योजना से जुड़े सभी विभाग मुख्यमंत्री के सीधे नियंत्रण में हैं, यानी उपराज्यपाल की भागीदारी के लिए कोई गुंजाइश नहीं बची है।

सक्सेना ने कहा कि योजना के संबंध में न तो आधिकारिक तौर पर और न ही अनौपचारिक रूप से कोई जानकारी उनके संज्ञान में लाई गई है।

पत्र में कहा गया है, “डीजेबी (दिल्ली जल बोर्ड) पूरी तरह से आपके नियंत्रण में है… निर्णय लें, दूसरों को दोष न दें। आप कह रहे हैं कि दिल्ली में 27 लाख जल उपभोक्ता कनेक्शन हैं, जिनमें से लगभग 10 लाख ने अपने बिल का भुगतान नहीं किया है और आपका लक्ष्य उन्हें लाभ पहुंचाना है।“

एल-जी ने कहा, “मैं आपको सलाह देता हूं कि अगर 10 लाख उपभोक्ताओं के बिल, जुर्माना, एलपीएससी और बकाया माफ करने जैसी किसी बात पर विचार किया जा रहा है, तो शेष 17 लाख उपभोक्ताओं द्वारा किए गए भुगतान, जिन्होंने इतने वर्षों में ईमानदारी से अपने बिलों का भुगतान किया है, की भी प्रतिपूर्ति ब्याज सहित की जानी चाहिए।”

सक्सेना ने केजरीवाल के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि उपराज्यपाल योजना को ”सफेद झूठ” और दोष से बचने के पैटर्न का हिस्सा बना रहे हैं।

उन्होंने केजरीवाल पर ‘पीड़ित होने का दिखावा’ बनाए रखने के लिए लगातार उपराज्यपाल, केंद्र सरकार और यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया।

उपराज्यपाल ने मंत्रियों द्वारा जारी बयानों में घोर विरोधाभास रहने की बात भी कही।

एलजी ने कहा, “कल प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जारी एक पोस्ट में माननीय मंत्री (यूडी) ने लिए गए निर्णयों का एक ‘कालक्रम’ गिनाया है। ‘एकमुश्त निपटान योजना’ के संबंध में निर्णय दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 13 जनवरी, 2023 को लिया गया था।”

पत्र में कहा गया है कि इसे 25 जनवरी, 2024 को (यानी, एक वर्ष के अंतराल के बाद) टिप्पणियों के लिए वित्त विभाग, जीएनसीटीडी को भेजा गया था।

सक्सेना ने कहा, इसके बाद मंत्री ने इस ‘योजना’ के संबंध में फाइल पर अपने निर्देश दर्ज किए और इसे 21 फरवरी, 2024 की देर शाम मुख्य सचिव को भेज दिया, जिससे स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि कथित ‘योजना’ अभी तक तैयार होने की प्रक्रिया में थी और किसी भी अंतिम बिंदु पर पहुंचने से बहुत दूर थी।

एल-जी ने कहा, “इसके अलावा, यदि ‘योजना’ को 13 जनवरी, 2023 को दिल्ली जल बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी गई थी, जैसा कि मंगलवार को मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सार्वजनिक डोमेन में रखा था। प्रस्ताव में दावा किया गया है कि ‘योजना’ को मंजूरी दे दी गई थी। 13 जून, 2023 को दिल्ली जल बोर्ड द्वारा पूरे सदन के विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन किया गया, जिसमें प्रस्ताव पेश करने वाले विधायक, जो दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, ने जानबूझकर पूरे सदन, सहकर्मियों और अपनी पार्टी को गुमराह किया है, जिन्‍होंने प्रस्‍ताव पारित किया।“

उन्होंने कहा, “इस हेरफेर की झूठी राजनीतिक कवायद से स्पष्ट हो जाता है कि यह दिल्ली के लोगों के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों और भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटने में जीएनसीटीडी की घोर विफलताओं से दिल्ली के लोगों का ध्यान भटकाने और हटाने के लिए किया गया है।”