डीजीसीए ने एयर इंडिया को बिना देरी के 3 वरिष्ठ अधिकारियों को हटाने का दिया निर्देश, एयरलाइन ने माना आदेश

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नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने क्रू शेड्यूलिंग प्रोटोकॉल में गंभीर खामियों को लेकर एयर इंडिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की, जिसमें तीन वरिष्ठ अधिकारियों को रोस्टरिंग डिपार्टमेंट से तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया। इस पर एयरलाइन ने शनिवार को कहा कि उसने नियामक के निर्देश को स्वीकार कर लिया है और आदेश को लागू कर दिया है।

डीजीसीए ने एयर इंडिया को क्रू शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग से जुड़ी सभी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया।

विमानन नियामक द्वारा जारी एक औपचारिक निर्देश के अनुसार, नियामक ने इन तीन अधिकारियों को अनधिकृत और गैर-अनुपालन वाले क्रू पेयरिंग, अनिवार्य लाइसेंसिंग आवश्यकताओं के उल्लंघन और फ्लाइट क्रू रीसेंसी मानदंडों का पालन करने में विफलता सहित कई उल्लंघनों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया।

डीजीसीए ने स्थिति को शेड्यूलिंग प्रक्रियाओं और पर्यवेक्षी निरीक्षण दोनों में सिस्टम की एक बड़ी विफलता बताया है।

एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि अंतरिम अवधि में कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी इंटीग्रेटेड ऑपरेशन्स कंट्रोल सेंटर (आईओसीसी) पर सीधी निगरानी रखेंगे।

एयर इंडिया ने कहा, “सुरक्षा प्रोटोकॉल और मानक प्रथाओं का पूर्ण पालन सुनिश्चित करने के लिए एयर इंडिया प्रतिबद्ध है।”

डीजीसीए के अनुसार, “ये तीनों अधिकारी क्रू रोस्टरिंग को लेकर गंभीर और बार-बार होने वाली चूक में शामिल रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ 10 दिनों के भीतर आंतरिक अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

वर्तमान में एआई 171 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना से जूझ रही एयर इंडिया को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। अहमदाबाद की दुखद घटना में 241 यात्रियों और क्रू मेंबर्स सहित लगभग 270 लोगों की मौत हो गई थी।

एविएशन इंडस्ट्री एम्प्लॉईज गिल्ड (एआईईजी) ने पिछले साल विमान में तकनीकी खराबी की सूचना देने के लिए एयरलाइन द्वारा दो केबिन क्रू सदस्यों को बर्खास्त करने की सीबीआई जांच की मांग की है।

एआईईजी के महासचिव जॉर्ज अब्राहम ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने दो केबिन क्रू सदस्यों की बर्खास्तगी की सीबीआई जांच की मांग की है, क्योंकि ड्रीमलाइनर 787 विमान में तकनीकी खराबी की सूचना देने के बाद बयान बदलने का दबाव डालकर नौकरी से निकालना एक काफी गंभीर विषय है।