नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। पेंशनधारियों और बुजुर्ग नागरिकों की सुविधा के लिए शुरू किए गए डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्रों (डीएलसी) की संख्या ने अभियान डीएलसी 3.0 के तहत एक करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में यह जानकारी दी।
कार्मिक,लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह मील का पत्थर बुजुर्ग नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को पूरा करेगा, जैसा कि उन्होंने पिछले रविवार को मन की बात के हालिया एपिसोड में व्यक्त किया था।”
मन की बात के 116वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा था, “अब डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की सुविधा मिलने से चीजें बहुत सरल हो गई हैं; बुजुर्गों को बैंक जाने की जरूरत नहीं है। बुजुर्गों को तकनीक के कारण किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। बुजुर्गों को तकनीक के प्रति जागरूक बनाने जैसे प्रयासों से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र पाने वालों की संख्या 80 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। इनमें से 2 लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं जिनकी उम्र 80 साल से भी ज्यादा हो गई है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तिकरण के लिए पीएम मोदी का विजन डीएलसी अभियान 3.0 के सफल क्रियान्वयन के जरिए साकार हो रहा है।
सभी प्रमुख हितधारक – पेंशन वितरण करने वाले बैंक, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग, रक्षा लेखा महानियंत्रक, रेल मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, डाक विभाग, आईपीपीबी, यूआईडीएआई और पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन पेंशनधारियों के डिजिटल सशक्तिकरण के विजन को साकार करने के लिए पूरी सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने पेंशनधारियों के डिजिटल सशक्तिकरण के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया सेंटर से राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र अभियान 3.0 का शुभारंभ किया।
डीएलसी अभियान 3.0 एक से 30 नवंबर तक देश भर के 800 शहरों और कस्बों में आयोजित किया जा रहा है। 1 से 25 नवंबर तक 1,984 शिविर आयोजित किए गए हैं और देश भर में 1.8 लाख डाकियों को तैनात किया गया है।
डीएलसी अभियान 3.0 के तहत फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से जमा किए गए डीएलसी में 202 गुना वृद्धि हुई है।
इस अभियान के तहत दिल्ली में 3, बेंगलुरु और हैदराबाद में 1-1 मेगा कैंप आयोजित किए गए हैं।
शिविरों के दौरान पेंशनभोगियों और पेंशनभोगी कल्याण संघों ने बताया कि डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र का विकास पेंशनधारियों, विशेष रूप से वृद्ध, विकलांग और अस्पताल में भर्ती लोगों के लिए जीवन को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।