नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। चुनाव आयोग ने सोमवार को फैक्ट चेक के जरिए “मतदाता सूची में हेराफेरी” को लेकर आंदोलन कर रहे विपक्षी नेताओं द्वारा दिए गए बयानों को “गलत” करार दिया और इसे खारिज कर दिया।
बिहार में मतदाता सूची के मसौदे के प्रकाशन से पहले, प्रकाशन के समय और प्रकाशन के बाद राजनीतिक दलों के साथ हुई बैठकों का विवरण साझा करते हुए, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने इस प्रक्रिया में सर्वोच्च पारदर्शिता बनाए रखने का दावा किया।
यह दावा करते हुए कि शुद्ध मतदाता सूची लोकतंत्र को मजबूत करती है, चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के वास्तविक आदेश को फिर से जारी किया और कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वामपंथी दलों सहित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के प्रशंसापत्र वाले वीडियो के लिंक भी जारी किए।
चुनाव आयोग के द्वारा फैक्ट चेक उस दिन जारी की गई जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद भवन से दिल्ली स्थित निर्वाचन सदन स्थित चुनाव आयोग कार्यालय तक इंडिया ब्लॉक पार्टियों के संयुक्त विरोध मार्च का नेतृत्व किया।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, “भारत वोट चोरी के खिलाफ लड़ेगा।”
विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए राहुल गांधी ने भी एक्स के ज़रिए सभी विपक्षी दलों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया और दोहराया कि यह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और मतदान के अधिकार की रक्षा के लिए है।
चुनाव आयोग ने पहले कहा था कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में मतदाताओं से सीधे प्राप्त 10,570 दावों और आपत्तियों में से अब तक 127 का अधिकारियों द्वारा निपटारा कर दिया गया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची के प्रकाशन के 11 दिन बाद भी, किसी भी राजनीतिक दल ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
चुनाव आयोग ने इसके साथ कहा कि बिहार में 1 अगस्त से अब तक 54,432 नए मतदाताओं ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन दाखिल किए हैं। ये मतदाता एसआईआर प्रक्रिया के बाद 18 वर्ष के हो गए हैं।
विपक्षी दलों ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए हमला बोला है। उनका आरोप है कि इससे लाखों मतदाताओं के मताधिकार छिनने का खतरा है। चुनाव आयोग ने इस आरोप का खंडन किया है।
–आईएएनएस
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