आपातकाल भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय : पवन कल्याण

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अमरावती, 25 जून (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री, जनसेना नेता और अभिनेता पवन कल्याण ने बुधवार को कहा कि 1975 में लगाया गया आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय था।

उन्होंने आपातकाल को केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि संविधान के साथ विश्वासघात, लोकतंत्र का मखौल और तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व की सत्ता की लालसा का प्रतीक बताया।

पवन कल्याण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “प्रेस को चुप कर दिया गया, विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया और मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, मोरारजी देसाई जैसे महान नेताओं को जेल में डाल दिया गया।”

उन्होंने कहा कि आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जा रहा है, ताकि उन लोगों के बलिदान को याद किया जाए, जिन्होंने तानाशाही के खिलाफ डटकर मुकाबला किया और लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखा।

पवन कल्याण ने आगे कहा, “हमें उन नेताओं के बलिदान और लाखों लोगों की पीड़ा को याद रखना चाहिए, जिनकी आवाज को दबाया गया। आज भी हमें संविधान को राजनीति के नाम पर कमजोर करने की कोशिशों से सावधान रहना होगा।”

केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी ‘एक्स’ पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “1975 में कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल भारत के लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय था। संविधान को कुचला गया, लाखों लोगों को जेल में डाला गया, मीडिया को चुप कराया गया और लोकतंत्र की हत्या की गई, सिर्फ एक परिवार को सत्ता में बनाए रखने के लिए।”

उन्होंने जोड़ा, “जिन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश को जेल बनाया, उन्हें कभी भूलना नहीं चाहिए। संविधान से ऊपर कोई नहीं है और हम ऐसी तानाशाही को दोबारा नहीं होने देंगे।”

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने कहा, “यह वह दिन था जब लोकतंत्र को दबाया गया और तानाशाही हावी हो गई। आपातकाल भारत के इतिहास में एक दुखद स्मृति है। हमें उन असंख्य लोगों की सेवाओं को याद रखना चाहिए, जिन्होंने आपातकाल हटाने और संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष किया।”