सिडनी, 15 जनवरी (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि नियमित तौर पर नेत्र परीक्षण कराने से स्ट्रोक के जोखिम का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में सेंटर फॉर आई रिसर्च (सीईआरए) के नेतृत्व में किए गए शोध में आंख के पीछे रक्त वाहिका फिंगरप्रिंट की पहचान की गई है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के स्ट्रोक के जोखिम की भविष्यवाणी करने के लिए सटीक रूप से किया जा सकता है।
शोध में पाया गया कि फिंगरप्रिंट में वैस्कुलर हेल्थ के 118 संकेत हैं और इसका विश्लेषण फंडस फोटोग्राफी से किया जा सकता है, जो नियमित नेत्र परीक्षणों में उपयोग किया जाने वाला एक सामान्य उपकरण है।
टीम ने रेटिना-आधारित माइक्रो वैस्कुलर हेल्थ असेसमेंट सिस्टम (आरएमएचएएस) नामक एक मशीन लर्निंग टूल का उपयोग करके यूके में 55 वर्ष की औसत आयु वाले 45,161 लोगों की आंखों की फंडस फोटो का विश्लेषण किया।
12.5 वर्षों की औसत निगरानी अवधि के दौरान, 749 प्रतिभागियों को स्ट्रोक हुआ।
शोधकर्ताओं ने 118 संकेतों में से 29 को पहली बार स्ट्रोक के जोखिम से महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हुए के रूप में पहचाना।
29 में से लगभग 17 संकेत वैस्कुलर डेंसिटी से संबंधित थे, जो उस क्षेत्र के प्रतिशत को बताता है जहां पर ब्लड वेसेल्स हैं। रेटिना और मस्तिष्क में कम डेंसिटी स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है।
अध्ययन के अनुसार डेंसिटी संकेतों में प्रत्येक परिवर्तन 10-19 प्रतिशत के बढ़े हुए स्ट्रोक जोखिम से जुड़ा था।
जटिलता संकेतकों में कमी से स्ट्रोक जोखिम में 10.5-19.5 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई।
शोधकर्ताओं ने कहा, “यह देखते हुए कि आयु और लिंग आसानी से उपलब्ध हैं और रेटिना पैरामीटर नियमित फंडस फोटोग्राफी के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं, यह मॉडल विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए घटना स्ट्रोक जोखिम मूल्यांकन के लिए एक व्यावहारिक और आसानी से कार्यान्वयन योग्य दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।”
अध्ययन में कहा गया है कि स्ट्रोक दुनिया भर में 100 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करता है और हर साल वैश्विक स्तर पर लगभग 6.7 मिलियन लोगों की मृत्यु का कारण बनता है, जिससे स्ट्रोक से संबंधित विकलांगता और मृत्यु दर को कम करने के लिए जोखिम वाले व्यक्तियों की शुरुआत में ही पहचान महत्वपूर्ण हो जाती है।