न्यूयॉर्क, 6 फरवरी (आईएएनएस)। एक अध्ययन में सामने आया है कि अवसादग्रस्त लोगों के शरीर का तापमान उच्च रहता है। वहीं, अगर तनावग्रस्त व्यक्ति अपने शरीर के तापमान को कम रखे, तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है।
बता दें कि यह अध्ययन जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि तनाव शरीर के तापमान को बढ़ाता है या उच्च तापमान तनाव को बढ़ाता है।
यह भी अज्ञात है कि क्या अवसाद से ग्रस्त लोगों में उच्च शरीर का तापमान स्वयं को ठंडा करने की क्षमता में कमी, चयापचय प्रक्रियाओं से गर्मी की बढ़ी हुई पीढ़ी या दोनों के संयोजन को दर्शाता है।
वहीं, अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को में मनोचिकित्सा के एसोसिएट प्रोफेसर और मुख्य लेखक एशले मेसन ने कहा कि निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि एक नई अवसाद उपचार पद्धति कैसे काम कर सकती है।
यूसीएसएफ में क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक मेसन ने कहा, “विडंबना यह है कि वास्तव में लोगों को गर्म करने से शरीर का तापमान फिर से कम हो सकता है, जो लोगों को सीधे बर्फ स्नान के माध्यम से ठंडा करने की तुलना में लंबे समय तक रहता है।”
“क्या होगा अगर हम अवसाद ग्रस्त लोगों के शरीर के तापमान को समय-समय पर गर्मी-आधारित उपचारों पर अच्छी तरह से ट्रैक कर सकें?”
शोधकर्ताओं ने 106 देशों के 20,000 से अधिक प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया, जिन्होंने शरीर के तापमान को मापने वाला उपकरण पहना था और प्रतिदिन अपने शरीर के तापमान और अवसाद के लक्षणों की स्वयं रिपोर्ट भी की थी।
परिणामों से पता चला कि अवसाद के लक्षणों की गंभीरता के प्रत्येक बढ़ते स्तर के साथ, प्रतिभागियों के शरीर का तापमान अधिक था। शरीर के तापमान के आंकड़ों ने उन लोगों में उच्च अवसाद स्कोर की प्रवृत्ति भी दिखाई, जिनके तापमान में 24 घंटे की अवधि के दौरान कम उतार-चढ़ाव था, लेकिन यह खोज महत्व तक नहीं पहुंची।