गृह मंत्री शाह ने असम की तीन जनजातियों की मांगों पर वार्ताकार नियुक्त करने के दिए संकेत

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि असम की राभा, मिसिंग और तिवा जनजातियों से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही एक वरिष्ठ वार्ताकार (इंटरलॉक्यूटर) नियुक्त करेगी।

गृह मंत्री ने यह आश्वासन इन तीनों समुदायों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ हुई बैठक के दौरान दिया। इस बैठक में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी उपस्थित थे।

अमित शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “असम के राभा, मिसिंग और तिवा समुदायों के प्रतिनिधिमंडलों से मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में मुलाकात की। उनकी मांगों को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि उनकी वास्तविक चिंताओं का समाधान किया जाएगा। गृह मंत्रालय शीघ्र ही एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करेगा, जो सौहार्दपूर्ण और स्थायी समाधान की दिशा में काम करेगा।”

तीनों जनजातियां अपने-अपने स्वायत्त परिषदों को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की लंबे समय से मांग कर रही हैं। गृह मंत्री के साथ हुई इस बैठक में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और राज्य के कैबिनेट मंत्री राणोज पेगू भी शामिल थे।

मुख्यमंत्री सरमा ने भी ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने राभा, मिसिंग और तिवा समुदायों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। ये समुदाय लंबे समय से अपनी स्वायत्त परिषदों के लिए संवैधानिक दर्जे की मांग कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “गृह मंत्री द्वारा वार्ताकार नियुक्त करने और संस्थागत संवाद शुरू करने का दिया गया आश्वासन अत्यंत आश्वस्त करने वाला और हृदयस्पर्शी है। यह भारत सरकार की समावेशी शासन, संवाद और असम की स्वदेशी जनजातियों की संवैधानिक आकांक्षाओं की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

इस बीच, एक अन्य घटनाक्रम में मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 29 दिसंबर को असम दौरे के दौरान पूर्वोत्तर के सबसे बड़े सभागार ‘ज्योति बिष्णु प्रेक्षागृह’ का उद्घाटन करेंगे। इस अत्याधुनिक ऑडिटोरियम में 5,000 लोगों के बैठने की क्षमता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभागार रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ है और इसे असम की सांस्कृतिक विरासत की दो महान विभूतियों—ज्योतिप्रसाद अग्रवाल और बिष्णु प्रसाद राभा—के सम्मान में नामित किया गया है।

उन्होंने इसे राज्य की समृद्ध कला और सांस्कृतिक परंपरा को समर्पित एक महत्वपूर्ण परियोजना बताया और कहा कि यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में सांस्कृतिक गतिविधियों को नई मजबूती देगा।