बीजिंग, 14 जनवरी (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं ने ऐसी प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं की पहचान की है जो मसूड़ों की गंभीर बीमारी पेरियोडोंटाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के लिए जिम्मेदार है। यह संभावित रूप से घातक फेफड़ों की बीमारी है।
पेरियोडोंटाइटिस को सीओपीडी की प्रगति से जोड़ा गया है लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली में यह संबंध कैसे काम करता है इसकी समझ अभी तक अस्पष्ट है।
चीन में सिचुआन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मसूड़ों की बीमारी से जुड़े बैक्टीरिया 2 प्रकार की कोशिकाओं गामा डेल्टा टी कोशिकाओं और एम 2 मैक्रोफेज के सक्रियण के माध्यम से सीओपीडी को बढ़ावा देते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण हैं।
एमसिस्टम्स जर्नल में प्रकाशित पेपर में उन्होंने कहा कि इस तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने से सीओपीडी की रोकथाम या नियंत्रण के लिए नई व्यावहारिक रणनीतियां पेश की जा सकती हैं।
सिचुआन विश्वविद्यालय में वेस्ट चाइना हॉस्पिटल ऑफ स्टोमेटोलॉजी के डॉक्टरेट छात्र, माइक्रोबायोलॉजिस्ट बोयू तांग ने कहा, “पेरियोडॉन्टल थेरेपी को बढ़ाकर और गामा डेल्टा टी कोशिकाओं और एम 2 मैक्रोफेज को लक्षित कर हम सीओपीडी की प्रगति को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकते हैं।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सीओपीडी दुनिया भर में मौत का छठा प्रमुख कारण है। इसका इलाज संभव नहीं है। उच्च आय वाले देशों में तम्बाकू धूम्रपान सीओपीडी का प्रमुख कारण है, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तम्बाकू धूम्रपान और घरेलू वायु प्रदूषण दोनों महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं।
पेरियोडोंटाइटिस एक मसूड़ों की बीमारी है जो अनुपचारित प्लाक के निर्माण से उत्पन्न होती है, जो मुख्य रूप से बैक्टीरिया से बनी एक चिपचिपी फिल्म होती है। समय के साथ, प्लाक कठोर होकर टार्टर बन सकता है और मसूड़ों की कोशिकाओं में जलन और सूजन पैदा कर सकता है, और फिर दांतों और मसूड़ों के बीच गहरे अंतराल पैदा कर सकता है जहां बैक्टीरिया पनपते हैं और हड्डियों को नुकसान हो सकता है।
अध्ययन के लिए टीम ने यह दिखाने के लिए माउस मॉडल का उपयोग किया कि कैसे वे बैक्टीरिया सीओपीडी की प्रगति को बढ़ा सकते हैं। एक प्रयोग में, उन्होंने दिखाया कि पीरियडोंटाइटिस और सीओपीडी दोनों से संक्रमित चूहों में सीओपीडी की प्रगति अकेले सीओपीडी से संक्रमित चूहों की तुलना में खराब थी।
एक अन्य प्रयोग में उन्होंने पाया कि मौखिक रूप से पी. जिंजिवलिस से संक्रमित चूहों में बैक्टीरिया चले गए और फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित कर दिया, जिससे फेफड़ों के माइक्रोबायोटा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला।
फ्लो साइटोमेट्री और इम्यूनोफ्लोरेसेंस का उपयोग कर आगे के अवलोकन से पता चला कि पेरियोडोंटाइटिस ने फेफड़े की कोशिकाओं में प्रतिरक्षा कोशिकाओं के विस्तार को बढ़ावा दिया। अंत में माउस फेफड़े की कोशिकाओं का उपयोग करते हुए प्रयोगों में, समूह ने यह दिखाकर बिंदुओं को जोड़ा कि पी. जिंजिवलिस बिगड़ते सीओपीडी से जुड़े साइटोकिन्स का उत्पादन करने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सक्रिय कर सकता है।
भविष्य के अध्ययनों में, टीम यह जांच करने की योजना बना रही है कि धूम्रपान के संपर्क में वृद्धि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कैसे प्रभावित कर सकती है।
–आईएएनएस
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