प्राग में हुई 7वीं भारत-चेक संयुक्त रक्षा समिति की बैठक, रक्षा और औद्योगिक साझेदारी पर लगी मुहर

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प्राग, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। चेक गणराज्य और भारत के बीच इन दिनों रणनीतिक रक्षा साझेदारी बढ़ रही है। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल ने चेक के सबसे बड़े शहर प्राग में 7 से 9 अक्टूबर तक 7वीं भारत-चेक संयुक्त रक्षा समिति की सफलतापूर्वक बैठक की।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (अधिग्रहण) ए. अनबरासु कर रहे थे, जबकि चेक की ओर से, चेक रक्षा मंत्रालय के औद्योगिक सहयोग प्रभाग की महानिदेशक राडका कोंडरलोवा बैठक में शामिल हुईं।

‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा, “अपर सचिव एवं महानिदेशक (अधिग्रहण) ए. अनबरासु ने 7-9 अक्टूबर 2025 तक प्राग में आयोजित सातवीं भारत-चेकिया संयुक्त रक्षा समिति की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। वार्ता रक्षा औद्योगिक सहयोग, सैन्य प्रशिक्षण और द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार पर केंद्रित रही। चेक पक्ष का नेतृत्व चेक रक्षा मंत्रालय के औद्योगिक सहयोग प्रभाग की महानिदेशक राडका कोंडरलोवा ने की। भारत-चेक रक्षा उद्योग संगोष्ठी में भी दोनों पक्षों की सक्रिय भागीदारी रही, जिससे साझेदारी के नए रास्ते खुले।”

बैठक में डिफेंस प्रोडक्शन, ट्रेनिंग प्रोग्राम के आदान-प्रदान और प्रौद्योगिकी साझाकरण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की आपसी मंशा पर ज़ोर दिया गया। इसके साथ ही, भारत-चेक गणराज्य रक्षा उद्योग संगोष्ठी में दोनों देशों के उद्योग और सरकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

हालांकि, बैठक के बाद विशिष्ट समझौतों या समझौता ज्ञापनों का अभी तक सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है। दोनों प्रतिनिधिमंडलों ने कथित तौर पर रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने, बेहतर अंतर-संचालन क्षमता को सक्षम बनाने और भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की संयुक्त रूप से खोज करने पर जोर दिया।

भारत और चेक गणराज्य के बीच बहुत लंबे समय से ही अच्छे संबंध रहे हैं। बोहेमिया साम्राज्य (जो अब आधुनिक चेक का हिस्सा है) भारत का एक प्रारंभिक व्यापारिक साझेदार था। दोनों के बीच बहुमूल्य वस्तुओं और मसालों का लेन-देन होता था। 18वीं और 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, जब चेक गणराज्य में ‘राष्ट्रीय पुनरुत्थान’ चल रहा था, तब वहां के विद्वानों ने प्राचीन भारतीय संस्कृति और भाषाओं से प्रेरणा ली। उन्होंने पाया कि संस्कृत भाषा और उनकी भाषाओं में बहुत समानताएं और गहरा संबंध है।

जैसे-जैसे भारत और चेक अपने संबंधों को व्यापक बना रहे हैं, इस संयुक्त रक्षा समिति की बैठक और उद्योग संगोष्ठियों जैसी पहल एक परिपक्व होते द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाती हैं, जो दोनों लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक, तकनीकी और रक्षा एकीकरण को गति प्रदान करती हैं।