वैश्विक स्तर पर समुद्री ताकत के रूप में उभरने के लिए जहाज निर्माण उद्योग पर फोकस कर रही सरकार : सर्बानंद सोनोवाल

0
5

नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में जहाज निर्माण उद्योग एक परिवर्तनकारी बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसकी वजह सरकार द्वारा देश में विश्व स्तरीय समुद्री इकोसिस्टम के निर्माण के लिए प्रयासों में तेजी लाना है। यह जानकारी केंद्रीय पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की ओर से दी गई।

मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और अमृत काल के लंबी अवधि के रणनीतिक रोडमैप के अनुरूप, केंद्रीय बजट 2025 में भारतीय शिपयार्ड की क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के उद्देश्य से सुधारों और निवेशों की एक सीरीज की घोषणा की गई थी।

सोनोवाल ने लोकसभा के चल रहे मानसून सत्र में कहा, “इन पहलों से एक उभरती वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है।”

सोनोवाल ने आगे कहा कि “शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस पॉलिसी को लागत संबंधी नुकसान को दूर करने के लिए संशोधित किया जा रहा है।”

इससे भारतीय शिपयार्डों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

भारतीय यार्डों में जहाज तोड़ने के लिए क्रेडिट नोटों को शामिल करने से एक चक्रीय और टिकाऊ समुद्री अर्थव्यवस्था की दिशा में प्रयास को बल मिलता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंशिंग को बढ़ावा देने के लिए, एक निश्चित आकार से बड़े जहाजों को अब इन्फ्रास्ट्रक्चर हार्मोनाइज्ड मास्टर सूची के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा, जिससे वे दीर्घकालिक और कम ब्याज दर वाली फंडिंग के पात्र बनेंगे।

इसके साथ ही, सरकार आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, कौशल विकास केंद्रों और उन्नत तकनीकों से सुसज्जित एकीकृत जहाज निर्माण क्लस्टर के विकास को सुगम बनाएगी। बजट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य भारत में निर्मित जहाजों की रेंज, श्रेणियों और क्षमता को बढ़ाना है।

उद्योग की दीर्घकालिक पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, सरकार ने 25,000 करोड़ रुपए के मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड का प्रस्ताव रखा है, जिसमें 49 प्रतिशत तक सरकारी योगदान होगा। यह फंड भारत की जहाज निर्माण और मरम्मत क्षमताओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए निजी और बंदरगाह-आधारित निवेश जुटाएगा।

उद्योग की लंबी अवधि की परिपक्वता को ध्यान में रखते हुए, जहाज निर्माण और जहाज-तोड़ने में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल और घटकों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर कर छूट को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।

सोनोवाल ने कहा, “हमारे समुद्री क्षेत्र को सशक्त और सक्षम बनाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता पूर्ण है और इसी उद्देश्य से हम प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में काम कर रहे हैं।”