नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। भारत को अपनी अर्बन क्लाइमेट अडैप्टेशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए सालाना आधार पर अनुमानित 52 बिलियन डॉलर या करीब 4.58 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
तपती गर्मी से लेकर रिकॉर्ड-ब्रेकिंग मानसून तक, बढ़ते वायु प्रदूषण से लेकर बिन मौसम के आंधी-तूफान तक क्लाइमेट चेंज शहरी भारत में भयावह रूप में देखा जा रहा है।
यूनाइटेड वे ऑफ मुंबई और एचएसबीसी इंडिया के सहयोग से द ब्रिजस्पैन ग्रुप की एक लेटेस्ट रिपोर्ट भारत के विशाल इनफॉर्मल सेक्टर में क्लाइमेट रेजिलिएंस को मजबूत करने के अवसरों को बताती है। देश का इनफॉर्मल सेक्टर हर शहर की इकोनॉमी और अकाउंट की बैकबोन है और भारत की शहरी पॉपुलेशन का 40 प्रतिशत हिस्सा है।
यह स्टडी इस बात की जांच करती है कि भारत के इनफॉर्मल वर्कर्स और बस्तियों में रहने वाले लोग हीटवेव, बाढ़ और वायु प्रदूषण जैसे क्लाइमेट रिस्क को लेकर किस प्रकार प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कम्युनिटीज और एक्सपर्ट्स के साथ बातचीत पर आधारित रिपोर्ट पांच प्रैक्टिकल इंवेस्टमेंट आइडिया को पेश करती है, जो स्थानीय स्तर पर क्लाइमेट अडैप्टेशन को बढ़ावा दे सकते हैं और एडिशनल पब्लिक और प्राइवेट फंडिंग को आकर्षित कर सकते हैं।
ये क्लाइमेट-स्मार्ट हाउसिंग मॉडिफिकेशन हैं, जो हीट रेजिलिएंस और एनर्जी एफिशिएंसी में सुधार करते हैं; क्लाइमेट-इंडेक्स वेज इंश्योरेंस, जो जलवायु-संबंधी व्यवधानों के दौरान आय को स्थिर करते हैं; सस्टेनेबल अर्बन ड्रेनेज सिस्टम्स जो पानी की सुरक्षा को मजबूत करते हैं और बाढ़ को कम करते हैं; डिस्ट्रीब्यूटेड रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम, जो इनफॉर्मल सेटलमेंट में विश्वसनीय और अफोर्डेबल पावर उपलब्ध करवाते हैं; क्लाइमेट रेजिलिएंट माइक्रो-एंटरप्रेन्योरशिप,जो ग्रीन, इंडोर आजीविका का विस्तार करती है और इनोवेशन को बढ़ावा देती है।
ब्रिजस्पैन पार्टनर और रिपोर्ट के को-ऑथर अनंत भगवती ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि यह रिपोर्ट सहयोगी रूप से काम करने को लेकर फाउंडर्स और निवेशकों के लिए अधिक बेहतर क्लाइमेट-रेजिलिएंट भविष्य निर्माण के लिए एक शुरुआती बिंदु के रूप में काम करेगी।”

