नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस) म्यांमार में साइबर अपराधियों पर व्यापक कार्रवाई के बीच भारत को चीन-म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित कई साइबर घोटाला केंद्रों से सतर्क रहने की आवश्यकता है, जो उसके नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, कायिन राज्य, वा क्षेत्र और चीन-म्यांमार सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित ये सेंटर, जहां केंद्र सरकार की पहुंच सीमित है, पीड़ितों को फर्जी ऑनलाइन नौकरी के विज्ञापन दिखाकर लुभाते हैं, पासपोर्ट जब्त करते हैं और उन्हें क्रिप्टोकरेंसी और रोमांस घोटाला करने के लिए मजबूर करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली, बीजिंग और बैंकॉक ने मांग की है कि नेपीता इस मामले में कड़ी कार्रवाई करे।”
म्यांमार के सैन्य सूचना मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि उनकी फोर्स ने पिछले पांच वर्षों से ऑनलाइन धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी के पर्याय के रूप में जाने जाने वाले केके पार्क को मुक्त करा लिया है। 2,000 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है और घोटाले में संचार के लिए इस्तेमाल होने वाले लगभग 30 स्टारलिंक सैटेलाइट टर्मिनल जब्त किए गए।
ये साइबर हब भारत के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। इस साल मार्च में विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की थी कि म्यांमार सहित दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर घोटाला ठिकानों से लगभग 300 नागरिकों को बचाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बाद के चरण में थाईलैंड के रास्ते 540 लोगों को वापस लाया गया।
दरअसल सशस्त्र समूहों पर नियंत्रण, भ्रष्टाचार और विदेशी आपराधिक निवेश के मिश्रण वाली शासन व्यवस्था ने कायिन राज्य (म्यांमार) को साइबर अपराध का अड्डा बना दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, म्यांमार की सेना की केके पार्क पर छापेमारी पड़ोसी देशों को संकेत देती है कि वह सीमा सुरक्षा लागू कर सकता है और आपराधिक-मिलिशिया गतिविधियों को नियंत्रित कर सकता है। हालांकि चुनौतियां अभी बनी हुई हैं क्योंकि इन ठिकानों के पीछे के नेटवर्क सीमा पार तस्करी और क्रिप्टो-धोखाधड़ी में गहराई से जुड़े हुए हैं।
—आईएएनएस













