नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। इंडस्ट्री लीडर्स ने शनिवार को पीएम मोदी की नीतियों और भारत के तेजी से होते विकास की सराहना की।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 में पहुंचे चार्ज जोन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कार्तिकेय हरियाणी ने इवेंट के साइडलाइन में न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई और शुरू की गई नीतियां प्रभावशाली हैं।
हरियाणी ने कहा, “पीएम ई-ड्राइव योजना को पिछले साल लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है। यह घरेलू बाजार के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी उद्योग के लिए एक सब्सिडी सहायता कार्यक्रम है।”
चार्ज जोन के सीईओ ने कहा, “मेरे विचार से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रधानमंत्री और सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और उनके पास इसके लिए एक मिशन-संचालित योजना भी है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार कई वर्षों से विकास के शिखर पर है क्योंकि यह हमेशा उच्च एकल-अंकीय वृद्धि दर से बढ़ रहा है।
डीकिन यूनिवर्सिटी की सीईओ रवनीत पाहवा ने कहा कि भारत एक चमकता सितारा है और बहुत जल्द यह देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
पाहवा ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत विकसित बन रहा है और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम इसे हासिल कर लेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत के लिए महत्वपूर्ण यह है कि वह विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शेष विश्व के साथ सहयोग के बारे में सोचे।
एमआईटी के फ्यूचरटेक रिसर्च डायरेक्टर नील थॉम्पसन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है और यह जानकर खुशी होती है कि देश की महंगाई दर कम और विकास दर ऊंची है, जो वास्तव में एक ऐसा नुस्खा है जो बहुत से लोगों को गरीबी से बाहर निकाल सकता है और दुनिया में बहुत अच्छा कर सकता है।
इस बीच, अल्फाजियो के संस्थापक और सीईओ पराग खन्ना ने कहा कि भारत जिस स्वदेशी दृष्टिकोण को एआई के लिए अपना रहा है, वह चीनी दृष्टिकोण या अमेरिकी दृष्टिकोण से अलग होने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है।
खन्ना ने कहा, “भारत में बहुत सारा विकास ओपन सोर्स है, खुला डेटा उपलब्ध है और इसे कैसे विकसित, परिनियोजित और नियंत्रित किया जा रहा है, इस बारे में पारदर्शिता है।”
इसके अलावा, उन्होंने आगे कहा कि इस बात की भी बहुत उम्मीद है कि भारत न केवल एआई मॉडल के विकास में, बल्कि जनहित में इसके परिनियोजन में भी विश्व में अग्रणी बन सकता है।