वित्त वर्ष 2026 में भारतीय स्पेशियलिटी केमिकल सेक्टर की 7-8 प्रतिशत राजस्व वृद्धि मात्रा पर आधारित

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    नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)। क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2026 में भारतीय स्पेशियलिटी केमिकल सेक्टर की 7-8 प्रतिशत राजस्व वृद्धि काफी हद तक मात्रा आधारित होगी।

    अमेरिकी टैरिफ कार्रवाइयों से पैदा हुई व्यापार संबंधी अनिश्चितताएं भारत के स्पेशियलिटी केमिकल सेक्टर की लाभप्रदता में सुधार को प्रभावित कर सकती हैं।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि बैलेंस्ड पोर्टफोलियो वाली या लचीले एंड यूजर सेक्टर की सेवा करने वाली कंपनियों झटकों को बेहतर तरीके से झेलने की स्थिति में हैं, जबकि निर्यात या कमोडिटी सेगमेंट पर निर्भर कंपनियों को मूल्य अस्थिरता के कारण मार्जिन जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

    क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी के अनुसार, वर्तमान में घरेलू राजस्व 63 प्रतिशत है और इसमें 8-9 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि निर्यात में 4-5 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है। लाभप्रदता पर दबाव जारी रहेगा, लेकिन यह अलग-अलग कंपनियों के लिए अलग-अलग होगा। यह एंड यूजर एक्सपोजर, राजस्व मिश्रण और मांग-आपूर्ति गतिशीलता से प्रभावित होगा।

    रिपोर्ट में क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा रेट की गई 121 कंपनियों पर ध्यान दिया गया है। ये कंपनियां 4 लाख करोड़ रुपये के मूल्य वाले हाईली फ्रेगमेंटेड सेक्टर के लगभग एक तिहाई प्रतिनिधित्व करती हैं।

    इस बीच, इस महीने क्रिसिल की एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार, भू-राजनीतिक मोड़ और अमेरिकी टैरिफ कार्रवाइयों के नेतृत्व में व्यापार से जुड़े मुद्दों से उत्पन्न अनिश्चितताओं के बावजूद, देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि वित्त वर्ष 2026 में 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी।

    यह पूर्वानुमान दो मान्यताओं पर आधारित है। इनमें ‘सामान्य मानसून का बना रहना’ और ‘कमोडिटी की कीमतों में नरमी जारी रहना’ शामिल है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति में कमी, केंद्रीय बजट 2025-2026 में घोषित कर लाभ और कम उधारी लागत से विवेकाधीन खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

    उच्च-आधार प्रभाव के समाप्त होने के साथ ही विकास अब महामारी से पहले की दरों पर लौट रहा है।

    हाई फ्रिक्वेंसी परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) डेटा से पता चलता है कि भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच अपना शीर्ष स्थान बनाए रखता है।

    रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-2031 में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ औसतन 9.0 प्रतिशत प्रति वर्ष रहने की उम्मीद है, जो महामारी से पहले के दशक में औसतन 6 प्रतिशत थी।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्विस सेक्टर विकास को लेकर प्राथमिक बना रहेगा। परिणामस्वरूप, सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में 17 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाएगी।