नई दिल्ली, 6 मार्च (आईएएनएस)। भारत अगले सप्ताह 15.14 अरब डॉलर की तीन नई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के संभावित भूमि पूजन समारोह के साथ अपनी महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर उद्योग की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर रहा है, जिसमें टाटा समूह की दो कांपनियां भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह साहसिक पहल है, जिससे वैश्विक सिलिकॉन बाजार में चीन के प्रभुत्व को झटका लगना शुरू हो गया है।
इन इकाइयों की स्थापना को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद दो सप्ताह से भी कम समय में तीन चिप संयंत्रों की नींव पड़ने की संभावना है, जो 20,000 उन्नत प्रौद्योगिकी नौकरियों और लगभग 60,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों के प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने के लिए तैयार हैं।
नई इकाइयां, जिनमें गुजरात के धोलेरा में ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (पीएसएमसी) के साथ टाटा का फैब शामिल है, उच्च प्रदर्शन वाले चिप्स के लिए प्रति माह 50,000 वेफर्स का लक्ष्य रखता है। उन्नत पैकेजिंग तकनीकों के लिए असम में टाटा की असेंबली, परीक्षण, निगरानी व पैकिंग (एटीएमपी) इकाई और रेनेसा इलेक्ट्रॉनिक्स व स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ सीजी पावर की गुजरात इकाई, पर्याप्त निवेश और वैश्विक साझेदारी के जरिए एक मजबूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को चिह्नित करती है।
चिप डिजाइन में भारत के पास पहले से ही गहरी क्षमताएं हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इन इकाइयों के साथ देश चिप निर्माण में भी क्षमता विकसित करेगा, जिससे आने वाले वर्षों में चीन की बाजार हिस्सेदारी और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।
मूडीज एनालिटिक्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सेमीकंडक्टर उद्योग में नया निवेश चीन से दूर जा रहा है और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन “निकट भविष्य में एशिया में ही बना रहेगा”।
मार्केट इंटेलिजेंस फर्म काउंटरपॉइंट के उपाध्यक्ष (अनुसंधान) नील शाह ने आईएएनएस को बताया, “महामारी से प्रभावित वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी ने विनिर्माण से लेकर डिजाइन तक विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी कंपनियों को ‘चीन प्लस एक अन्य राष्ट्र’ दृष्टिकोण जैसी विविधीकरण रणनीतियों पर गंभीरता से विचार करने के लिए प्रेरित किया। इसका फायदा उठाते हुए भारत सरकार ने इन तकनीकी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण प्रोत्साहन और ठोस नीतियां प्रदान कीं।”
इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य देश में एक संपन्न सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।
शाह ने कहा, “अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा एक मजबूत सॉफ्टवेयर उद्योग और अंग्रेजी बोलने वाली प्रतिभा की प्रचुरता को देखते हुए तकनीकी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने का विकल्प स्पष्ट और आकर्षक हो जाता है।”
गुजरात में 22,500 करोड़ रुपये के माइक्रोन सेमीकंडक्टर प्लांट से पहली भारत निर्मित चिप इस साल दिसंबर में आने वाली है।
माइक्रोन प्लांट के अलावा, ताइवान के पीएसएमसी के साथ टाटा के सेमीकंडक्टर फैब का निर्माण 91,000 करोड़ रुपये के निवेश से किया जाएगा। यह फैब 28 एनएम तकनीक के साथ उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूट चिप्स और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिए पावर प्रबंधन चिप्स को कवर करेगा।
असम के मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (टीएसएसटी) द्वारा प्रतिदिन 48 मिलियन की क्षमता वाली चिप असेंबली, टेस्टिंग, मॉनिटरिंग और पैकिंग (एटीएमपी) यूनिट 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित की जाएगी।
विशेष चिप्स के लिए तीसरी सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई सीजी पावर द्वारा रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन, जापान और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में गुजरात के साणंद में स्थापित की जाएगी, जिसकी क्षमता 15 मिलियन प्रतिदिन और 7,600 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रू ने कहा, “हम एक साथ मिलकर अपनी अटूट प्रतिबद्धता के कारण भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने की ओर बढ़ चले हैं।”
नई चिप इकाइयों की स्थापना से ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों पर निर्भर उद्योगों में रोजगार के अवसरों में तेजी आएगी।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एसपी कोचर ने कहा कि इन नई इकाइयों के उत्पादन से विभिन्न क्षेत्रों और खंडों को लाभ होने और ‘डिजिटल इंडिया’ को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे तकनीकी कौशल में वृद्धि और स्वदेशी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र की उन्नति के जरिए रोजगार पैदा होने और देश में अधिक निवेश आकर्षित होने की संभावना है।”
भारत पहले से ही मोबाइल के नेतृत्व में वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख शक्ति है। देश दुनिया में (मात्रा के संदर्भ में) मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है।
नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, “मोबाइल फोन का निर्यात भी 2014-15 में अनुमानित 1,566 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में अनुमानित 90,000 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे निर्यात में 5,600 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि हुई है।”
मोबाइल फोन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना की सफलता के बाद सरकार उम्मीद कर रही है कि आईटी हार्डवेयर और सर्वर के लिए पीएलआई से आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए देश में घटक पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश का विस्तार होगा।