भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 217.62 गीगावाट हुई: केंद्र

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नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता बढ़कर 217.62 गीगावाट ( 20 जनवरी तक) हो गई है। यह जानकारी सरकार द्वारा बुधवार को दी गई।

मंत्रालय ने आगे कहा कि इस वर्ष क्लीन एनर्जी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रेगुलेटरी, फाइनेंसियल और इन्फ्रास्ट्रक्चर चुनौतियों से निपटना होगा।

न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय ने कहा कि निरंतर नीतिगत समर्थन, बढ़ते निवेश और उभरती टेक्नोलॉजीज पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत अपने महत्वाकांक्षी रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

2024 में भारत ने सोलर और विंड एनर्जी इंस्टॉलेशन, पॉलिसी और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे 2025 के बड़े लक्ष्यों के लिए प्लेटफॉर्म तैयार हो गया है।

भारत की ओर से 2030 तक 500 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया है।

मंत्रालय के अनुसार, भारत ने वर्ष 2024 में रिकॉर्ड 24.5 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता और 3.4 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी है, जो 2023 में जोड़ी गई सौर ऊर्जा क्षमता में दोगुना से अधिक और पवन ऊर्जा क्षमता में 21 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है।

रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत की है।

सरकारी डेटा के मुताबिक, रूफटॉप सोलर सेक्टर में पिछले साल 4.59 गीगावाट की नई क्षमता स्थापित की गई है। यह 2023 में जोड़ी गई क्षमता से 53 प्रतिशत अधिक है।

2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने इस विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत 10 महीनों के भीतर 7 लाख रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना हुई है।

2024 में भारत में 3.4 गीगावाट की नई पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित हुई है। इसमें से 1,250 मेगावाट की क्षमता गुजरात में, 1,135 मेगावाट की क्षमता कर्नाटक में और 980 मेगावाट की क्षमता तमिलनाडु में स्थापित की गई है।

मंत्रालय ने बताया कि पिछले साल पवन ऊर्जा क्षेत्र में हुई क्षमता विस्तार में इन राज्यों की हिस्सेदारी 98 प्रतिशत रही है, जो पवन ऊर्जा क्षेत्र में इन राज्यों के वर्चस्व को दिखाती है।