श्रीनगर, 3 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू और कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाए जाने के छह साल पूरे हो रहे हैं। इस कदम के कारण जम्मू और कश्मीर में शासन, बुनियादी ढांचे और नागरिक भागीदारी में बड़ा बदलाव आया है।
इस फैसले के तहत राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किया गया और उसे पूरी तरह भारतीय संविधान के ढांचे में शामिल किया गया।
राजनीतिक बहस के बावजूद सरकार का ध्यान जनकल्याण, लोकतंत्र को मजबूत करने और आर्थिक विकास पर है। सबसे स्पष्ट परिवर्तनों में से एक लोकतंत्र में भागीदारी बढ़ी है। पंचायत चुनावों में 70 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ। 2020 में जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव पहला बड़ा कदम था।
2024 के राज्य विधानसभा चुनावों ने राजनीतिक भागीदारी को और मजबूत किया, जिसमें दक्षिण कश्मीर के उभरते सरपंचों सहित युवाओं और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही।
इसके अलावा, शिक्षा और सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है। आईआईटी जम्मू, एम्स अवंतीपोरा (2025 तक शुरू होने की उम्मीद), और रियासी में मेडिकल कॉलेज से शिक्षा का दायरा बढ़ा है। दूरदराज के क्षेत्रों से यूपीएससी क्वालिफायर भी निकले और जॉब फेयर ने स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 के बाद 80,000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ, जिससे रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा मिला। बुनियादी ढांचे में तेजी आई। साथ ही उदहमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) अब पूरी तरह चालू है, जो घाटी को देश से जोड़ता है।
जोजी ला टनल (2026), जोड-मोर्ह टनल, और बनिहाल-काजीगुंड रोड टनल जैसे प्रोजेक्ट्स से आवागमन बेहतर हो रहा है। मार्च 2025 तक भारतनेट के तहत 9,789 फाइबर-टू-होम कनेक्शन शुरू किए गए, जिससे डिजिटल पहुंच बढ़ी। इसके अलावा, पर्यटन में भी उछाल आया है। 2024 में श्रीनगर को यूनेस्को ने ‘वर्ल्ड क्राफ्ट सिटी’ का दर्जा दिया है।
श्रीनगर के लिए रोजाना उड़ानें 2019 में 35 से बढ़कर 2024 में 125 हो गई हैं। इको-टूरिज्म, हेरिटेज होमस्टे, और कारीगरों द्वारा अनुभव आधारित पर्यटन से रिकॉर्ड पर्यटक आ रहे हैं, जिससे स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिला।
राजनीतिक विवाद के बावजूद सरकार का दावा है कि आर्टिकल 370 हटाने से समावेशी विकास, लोकतांत्रिक नवीकरण और जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति की नींव रखी गई है।