कर्नाटक की लड़ाई के लिए सांसदों, मंत्रियों ने एकजुट होने का आश्वासन दिया : सिद्दारमैया

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नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शुक्रवार को बताया कि राज्य के सभी सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें प्रदेश की भलाई के लिए एकजुट होकर लड़ने का आश्वासन दिया है।

सीएम ने नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि गुरुवार रात को कर्नाटक सरकार और राज्य के सांसदों तथा केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक हुई। परियोजनाओं का सारा ब्यौरा उन्हें उपलब्ध करा दिया गया है। सभी सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने मुझे आश्वासन दिया है कि वे मतभेदों को भुलाकर राज्य के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे।

सीएम ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने और राज्य की परियोजनाओं को मंजूरी देने का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा, “जब राज्य की जमीन, पानी और भाषा की बात आती है, तो राजनीति नहीं लानी चाहिए। हम दलगत राजनीति से ऊपर उठने का प्रयास कर रहे हैं।”

महादयी के बारे में एक केंद्रीय मंत्री ने झूठ बोला है। उन्होंने दावा किया कि महादयी पेयजल परियोजना अदालत में अटकी हुई है। गजट नोटिफिकेशन हो चुका है, जबकि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से अनुमति लेनी होती है। मामला अभी केंद्र सरकार के पास है। फिर भी, यह झूठा दावा किया जा रहा है कि मामला अदालत में है।

सीएम ने कहा कि बैठक में अपर भद्रा परियोजना पर भी चर्चा की गई। परियोजना के लिए घोषित धनराशि अभी तक जारी नहीं की गई है। उनका दावा है कि राज्य सरकार की ओर से कोई तकनीकी समस्या है। हमने स्पष्ट किया है कि कोई तकनीकी समस्या नहीं है। हमने पत्र लिखे हैं और फाइलें भी भेजी हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर सहमति जताई है और हमने इसे राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित करने की मांग की है। पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने भी इसका समर्थन किया है।

मेकेदातु परियोजना 2018 से लंबित है। जबकि डीपीआर तैयार है। परियोजना की अनुमानित लागत नौ हजार करोड़ रुपये है। इस परियोजना से तमिलनाडु को भी फायदा होगा। हालांकि, तमिलनाडु ने कोर्ट में मामला दायर किया है। लेकिन, कोर्ट ने परियोजना पर रोक नहीं लगाई है। यह बात केंद्रीय मंत्रियों के संज्ञान में लाई गई है। मेकेदातु परियोजना से पेयजल और बिजली उत्पादन में मदद मिलेगी।

सीएम ने कहा कि कृष्णा जल वितरण के संबंध में गजट नोटिफिकेशन अभी तैयार नहीं हुआ है। केंद्र सरकार को इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित करना है और यह बात केंद्रीय मंत्रियों के संज्ञान में भी लाई गई है।