हैंडलूम और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए सीएम मोहन यादव ने अधिकारियों को दिए निर्देश

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भोपाल, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की पहचान और बिक्री बढ़ाने के लिए बड़े निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचाना, कारीगरों को मजबूत बनाना और गांवों की आर्थिक स्थिति को सुधारना है।

शनिवार को कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग की एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वामित्व वाले ब्रांडों मृगनयनी, विंध्य वैली, कबीरा और प्राकृत के उत्पादों को मध्य प्रदेश टूरिज्म इकाइयों, प्रमुख धार्मिक केंद्रों और राज्य भर के प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करने पर जोर दिया। उन्होंने निजी फ्रेंचाइजी के माध्यम से इन ब्रांडों का जिला स्तर तक विस्तार करने और व्यापक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहुंच के लिए डिजिटल मीडिया का लाभ उठाने की वकालत की।

डॉ. यादव ने अधिकारियों को अन्य शहरों में साड़ी वॉकथॉन आयोजित करने का निर्देश दिया, जो 7 मार्च को इंदौर में हुए बेहद सफल कार्यक्रम जैसा होगा, जिसमें 27,000 महिलाओं ने भाग लिया था। उन्होंने सक्रिय निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ अधिक जिलों में रेशम उत्पादन गतिविधियों का विस्तार करने का भी आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जीआई-टैग वाले उत्पादों का एक समेकित डेटाबेस संकलित करने पर जोर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि कुछ हस्तशिल्प उत्पाद, जैसे कि विरासत महेश्वरी स्टोल, जिन्हें गोंड (एमपी की जनजाति) चित्रों और बेल मेटल शिल्प कौशल वाले लकड़ी के बक्सों में सुरुचिपूर्ण ढंग से पैक किया गया है, को प्रधानमंत्री कार्यालय में मेहमानों को उपहार में देने के लिए चुना गया है, और विदेशी दूतावासों से भी अतिरिक्त मांगें आ रही हैं।

पूर्व मालवा शासक अहिल्यादेवी होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में, महेश्वर किले पर की गई नक्काशी से प्रेरित 52 विशेष साड़ी डिजाइन विकसित किए जा रहे हैं। ‘सिल्क समृद्धि योजना’ को सभी जिलों में बढ़ाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, अधिकारियों ने बताया कि कूनो चीता अभयारण्य में बिक्री के लिए 35 से अधिक स्थानीय शिल्पों को शामिल करते हुए नए चीता-थीम वाले उपहार आइटम बनाए जा रहे हैं।

बैठक में पिछले दो वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया: प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 2,568 ग्राम उद्योग इकाइयों को मंजूरी दी गई, 63 करोड़ रुपए का अनुदान वितरित किया गया, 252 करोड़ रुपए के बैंक ऋण की सुविधा दी गई, और 6,300 नई नौकरियां सृजित की गईं। 1,710 कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिनमें से 1,197 को प्लेसमेंट मिला।

विभाग का उत्पादन 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जबकि एम्पोरियम की बिक्री 23 करोड़ रुपए रही। जवाहर चौक और भोपाल हाट में नए आउटलेट खोले गए, साथ ही राज्य भर में और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, रांची और छत्तीसगढ़ जैसे शहरों में 79 प्रदर्शनियां आयोजित की गईं।

तीन साल के एक्शन प्लान में ग्वालियर में सुविधाओं को अपग्रेड करना, कई जिलों में खादी, टेक्सटाइल और लेदर प्रोडक्शन का विस्तार करना, भोपाल में कॉमन फैसिलिटी सेंटर स्थापित करना, 1,000 बुनकरों को ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म और डिजाइन सहायता देना, 1,700 कारीगरों को ट्रेनिंग देना, 800 लोगों को एडवांस्ड टूल देना, 270 मेलों का आयोजन करना, खादी उत्पादन क्षमता को दोगुना करना, 8,000 नौकरियाँ पैदा करना और वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट ब्रांडिंग को मजबूत करना शामिल है।