नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस ने सोमवार को कहा कि उसने पूरे भारत में मैक्स हॉस्पिटल्स के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट सुविधा को सस्पेंड कर दिया है। इससे हजारों पॉलिसीहोल्डर्स को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
इंश्योरेंस कंपनी के इस फैसले के बाद कि निवा बूपा के पॉसिलीहोल्डर्स मैक्स हॉस्पिटल्स में कैशलेस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे। अब उन्हें इलाज के लिए नकद में भुगतान करना होगा। इसके बाद वह निवा बूपा में प्रतिपूर्ति के आवेदन कर सकते हैं।
आईएएनएस को दिए एक बयान में, निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के निदेशक और सीओओ डॉ. भवतोष मिश्रा ने कहा कि मैक्स के साथ कंपनी का समझौता मई 2025 में समाप्त हो गया है।
प्रीमियम संशोधन के लिए हुई बातचीत में कोई समझौता नहीं हो पाया है, जिसके कारण कैशलेस सेवाओं को निलंबित कर दिया गया।
मिश्रा ने कहा, “हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि मैक्स हॉस्पिटल्स में हमारी कैशलेस सेवाएं वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि स्टार हेल्थ और केयर हेल्थ जैसी बीमा कंपनियों को भी मैक्स हॉस्पिटल्स के साथ इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मिश्रा ने बताया, “मैक्स के साथ हमारा समझौता मई में समाप्त हो गया था और टैरिफ संशोधन पर चर्चा चल रही थी, लेकिन हम आपसी सहमति पर नहीं पहुंच पाए। नतीजतन, मैक्स हॉस्पिटल्स में कैशलेस सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित हैं।”
अपनी अधिसूचना में, निवा बूपा ने कहा कि यह कदम अन्य सभी विकल्पों के समाप्त होने के बाद उठाया गया है।
इंश्योरेंस कंपनी ने ग्राहकों से कहा कि देश भर में उसके 10,000 से अधिक सहयोगी अस्पतालों में कैशलेस सेवाएं अभी भी उपलब्ध हैं।
मैक्स हॉस्पिटल्स ने अभी तक इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है।
यह समस्या केवल निवा बूपा तक ही सीमित नहीं है। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस और केयर हेल्थ इंश्योरेंस के पॉलिसीधारकों को भी 1 सितंबर से कई अस्पतालों में कैशलेस सेवाओं की सुविधा नहीं मिल पाएगी। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) या एएचपीआई ने कई अस्पतालों में कैशलेस सेवाओं के निलंबन पर ऑनलाइन स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के समक्ष गहरी चिंता जताई है।
ऐसी भी खबरें थीं कि एएचपीआई ने इन पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस सेवाओं के निलंबन को रद्द करने संबंधी एक एडवाइजरी जारी की है। हालाँकि, एसोसिएशन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बीमा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था, जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआई काउंसिल) ने एसोसिएशन के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे अचानक और एकतरफा कार्रवाई बताया है जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है और स्वास्थ्य बीमा में जनता के विश्वास को कम करने का जोखिम है।
काउंसिल ने चेतावनी दी है कि कैशलेस सेवाओं में व्यवधान नागरिकों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाता है क्योंकि इससे उन्हें भारी अग्रिम भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है और तत्काल उपचार की आवश्यकता वाले गंभीर चिकित्सा मामलों में जान भी जोखिम में पड़ सकती है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब बीमा नियामक आईआरडीएआई पूरे भारत में 100 प्रतिशत कैशलेस उपचार पर जोर दे रहा है।