उत्तर कोरिया को एशिया पैसिफिक मनी लॉन्ड्रिंग ग्रुप के पर्यवेक्षक पद से हटाया गया

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सोल, 30 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर कोरिया को अपने दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहने के लिए क्षेत्रीय एंटी मनी लॉन्ड्रिंग ग्रुप के पर्यवेक्षक पद से हटा दिया गया। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी।

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि पिछले मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित एशिया पैसिफिक मनी लॉन्ड्रिंग ग्रुप (एपीजी) की 26वीं आम सभा में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया।

1997 में गठित एपीजी, एक अंतर-सरकारी निकाय है जो मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मानकों को प्रभावी रूप से लागू करने, आतंकवाद की फंडिंग और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वर्तमान में, एपीजी में अमेरिका, जापान और चीन सहित 42 सदस्य देश शामिल हैं। दक्षिण कोरिया 1998 में समूह में शामिल हुआ। उत्तर कोरिया को जुलाई 2014 में एपीजी पर्यवेक्षक का पद मिला था।

एपीजी ने उत्तर कोरिया को चेतावनी दी थी कि ग्रुप में एक्टिव नहीं होने से उसका पर्यवेक्षक का दर्जा छिन सकता है।

ग्रुप के सदस्यों द्वारा अयोग्यता का समर्थन किया गया क्योंकि उत्तर कोरिया ने अपना दर्जा बनाए रखने के लिए न्यूनतम शर्तों को भी पूरा नहीं किया।

एपीजी ने पाया कि उत्तर कोरिया पिछले छह वर्षों से ग्रुप की गतिविधियों में शामिल नहीं हुआ।

हाल ही में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपणों और परमाणु प्रोग्राम की निंदा की। उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप के ‘पूर्ण’ परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

उत्तर कोरिया ने पिछले दिनों से अपने कई कारनामों से कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ा दिया है। इसमें प्योंगयांग द्वारा यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी का खुलासा, हथियारों की लगातार टेस्टिंग, कठोर बयानबाजी और दक्षिण कोरिया में कचरे से भरे गुब्बारे छोड़ने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

चौथे व्यक्तिगत क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद इन चारों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें उत्तर कोरिया की गतिविधियों को लेकर चिंता जाहिर की गई। क्वाड समिट अमेरिका में डेलावेयर के विलमिंगटन में आयोजित हुई थी।

नेताओं ने ‘विलमिंगटन डिक्लेरेशन’ में कहा, “हम उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनेक प्रस्तावों (यूएनएससीआर) का उल्लंघन करते हुए परमाणु हथियारों को पाने की निरंतर कोशिश की निंदा करते हैं। ये प्रक्षेपण अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हैं।”