नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइज योजना (पीएमएफएमई स्कीम) के तहत 31 अक्टूबर 2024 तक कुल 1,08,580 माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइज को सहायता के लिए मंजूरी दी गई। सरकार ने गुरुवार को संसद में यह जानकारी दी।
पीएमएफएमई योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय सूक्ष्म फूड प्रोसेसिंग उद्यमों की स्थापना/अपग्रेड के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि इस योजना की अवधि 2020-21 से 2025-26 तक है और इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय का प्रावधान किया गया है।
मंत्रालय अपनी पीएमकेएसवाई योजना, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) और देशभर में केंद्र प्रायोजित पीएमएफएमई योजना के माध्यम से संबंधित उद्योगों की स्थापना और विस्तार के लिए छोटे और मध्यम तथा अन्य फूड प्रोसेसिंग उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रहा है।
पीएमकेएसवाई की उप-योजनाओं के तहत, मंत्रालय 15वें वित्त आयोग चक्र के लिए 5,520 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ नए उद्यमियों को ज्यादातर क्रेडिट-लिंक्ड वित्तीय सहायता (पूंजी सब्सिडी) प्रदान करता है।
मंत्री ने कहा कि पीएमकेएसवाई की संबंधित घटक योजनाओं के तहत इस साल 31 अक्टूबर तक 41 मेगा फूड पार्क, 399 कोल्ड चेन परियोजनाएं, 76 कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर, 559 फूड प्रोसेसिंग इकाइयां, 61 बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज परियोजनाएं और 51 ऑपरेशन ग्रीन परियोजनाएं भी मंजूर की गई हैं।
दूसरी ओर, पीएलआईएसएफपीआई योजना का उद्देश्य ग्लोबल फूड मैन्युफैक्चरिंग चैंपियन बनाने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य उत्पादों के भारतीय ब्रांडों का समर्थन करना है।
केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि यह योजना 2021-22 से 2026-27 तक छह साल की अवधि में 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ क्रियान्वित की जा रही है और अब तक 171 फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को योजना की अलग-अलग कैटेगरी के तहत सहायता के लिए मंजूरी दी गई है।