पाकिस्तान: फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुआ हिंसक, इस्लामी समूह के कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प

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इस्लामाबाद, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के लाहौर शहर में सप्ताहांत में हिंसक विरोध प्रदर्शन और घातक झड़पें हुईं। फिलिस्तीन समर्थक कट्टरपंथी इस्लामी समूह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) की झड़प पाकिस्तानी पुलिस से हुई। टीएलपी को राजधानी की ओर मार्च करने से रोके जाने की कोशिश की गई थी।

प्रदर्शनकारियों ने इसे ‘गाजा मार्च’ नाम दिया और इजरायली बलों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ फिलिस्तीनियों के समर्थन में एकजुट होने की कोशिश की। उनकी योजना अमेरिकी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की थी। पाकिस्तानी पुलिस द्वारा रोके जाने पर, पुलिसकर्मियों के साथ हिंसक झड़प हुई, जिसके बाद आंसू गैस के गोले दागे गए और गोलियां चलाई गईं।

एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, टीएलपी ने दावा किया है कि गुरुवार से अब तक उसके दो समर्थक मारे गए हैं और 50 अन्य घायल हुए हैं।

हिंसा सबसे पहले गुरुवार को पंजाब प्रांत में भड़की, जो देखते ही देखते अन्य स्थलों पर फैल गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की शांति अपील को नजरअंदाज कर दिया और राजधानी में एक बड़े प्रदर्शन की योजना पर आगे बढ़ गए।

जब प्रदर्शनकारियों का पुलिस से सामना हुआ, तो उन्होंने उन पर पत्थरबाजी की, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने पहले प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और फिर उन्हें तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाईं।

आगे कहा गया है कि पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ, जो प्रधानमंत्री की भतीजी हैं, के नेतृत्व वाली पंजाब प्रांतीय सरकार की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है।

इस्लामाबाद तक मार्च का आह्वान टीएलपी प्रमुख साद रिजवी ने किया था, जिन्होंने अपने समर्थकों से कहा, “मैं इस लंबे मार्च में सबसे आगे चलूंगा। गिरफ्तारी कोई समस्या नहीं है, गोलियां कोई समस्या नहीं हैं, गोले कोई समस्या नहीं हैं – शहादत हमारी नियति है।”

टीएलपी समर्थकों और पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़पों ने जनजीवन पर भी असर डाला क्योंकि कई सेवाएं बाधित हुईं, जिससे स्थानीय निवासियों को कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। लाहौर में शुक्रवार से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद हैं।

प्रशासन ने रावलपिंडी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी सस्पेंड कर दी हैं।

लाहौर, पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 350 किलोमीटर (210 मील) दूर स्थित है।

अपने कट्टरपंथी चरित्र और आचरण के लिए कुख्यात टीएलपी समूह की सोशल मीडिया पर भी तीखी आलोचना हुई। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति समझौते के बावजूद सड़कों पर हिंसा भड़काने के लिए उसकी आलोचना की।

हालांकि, टीएलपी नेताओं ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया और दावा किया कि गाजा में इजरायल के अत्याचारों के खिलाफ उनके मार्च शुरू होने से पहले ही सरकार ने सड़कें अवरुद्ध करके ज्यादती की।