क्वेटा, 5 जुलाई (आईएएनएस)। बलूचिस्तान के हुब चौकी जिले में पाकिस्तानी सेना ने दो बलूच युवकों को उनके घरों से जबरन गायब कर दिया है। एक प्रमुख बलूच मानवाधिकार संगठन ने शुक्रवार को बताया कि यह घटना पूरे प्रांत में जबरन लापता होने की चल रही घटना के बीच हुई है।
बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग पांक के एक बयान में कहा गया है, “गुलाम मुस्तफा के बेटे और मशकई के निवासी लियाकत मुस्तफा को 3 जुलाई को देर रात छापेमारी के दौरान अगवा कर लिया गया था। उनके पिता गुलाम मुस्तफा भी 15 जनवरी 2016 को जबरन गायब किए जाने का शिकार हुए थे और आज भी लापता हैं।
अत्ता बलूच के बेटे और मशकई के निवासी उमर अत्ता को भी ऐसी ही परिस्थितियों में अगवा किया गया था। उन्हें पहले 2016 में जबरन गायब कर दिया गया था और रिहा होने पर उनके शरीर पर शारीरिक और मानसिक यातना के निशान थे।”
मानवाधिकार निकाय ने पाकिस्तानी सेना द्वारा बार-बार और व्यवस्थित तरीके से किए गए अपहरण की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पिछले कई साल से व्यक्तियों और परिवारों को निशाना बनाया जाना बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और दंड से मुक्ति के चल रहे चक्र को उजागर करता है।
इस बीच, बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) के आह्वान पर शुक्रवार को चाघी, नोकुंडी और दलबंदिन समेत बलूचिस्तान के विभिन्न हिस्सों में पूर्ण बंद हड़ताल की गई। यह हड़ताल पाकिस्तान समर्थित मौत दस्तों द्वारा बलूच युवक जीशान जहीर की न्यायेतर हत्या के विरोध में की गई।
बीवाईसी के गुरुवार को जारी एक बयान में कहा गया, “जीशान के पिता 2015 से जबरन गायब किए जाने का शिकार हैं। उनके पिता की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की बजाय सरकार ने जीशान के शव को वापस कर दिया। उनकी अनुचित तरीके से हत्या कर दी गई। हम बलूच लोगों के खिलाफ राज्य के निरंतर अत्याचारों का दृढ़ता से विरोध करते हैं। ये अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि बलूच नरसंहार के एक व्यवस्थित अभियान का हिस्सा हैं। हम बलूचिस्तान में किए जा रहे युद्ध अपराधों को उजागर करने की कसम खाते हैं।”
गुरुवार को बीवाईसी ने जीशान जहीर की अनुचित हत्या के विरोध में कराची के ल्यारी में शांतिपूर्ण मार्च का आयोजन किया। मानवाधिकार संस्था ने कहा कि मार्च शुरू होने से पहले ही सिंध पुलिस ने इसे जबरन रोक दिया।
बीवाईसी के अनुसार, अमना बलूच को तीन अन्य पुरुष प्रदर्शनकारियों के साथ मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, बाद में कई मानवाधिकार संगठनों द्वारा अवैध हिरासत पर व्यापक निंदा के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
बीवाईसी ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब कराची में बीवाईसी के शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को सरकार के दमन का सामना करना पड़ा है। सिंध पुलिस ने बार-बार हमारे विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार को निशाना बनाया है और उसमें बाधा डाली है।”
बलूचिस्तान के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार प्रांत में पाकिस्तानी सेना द्वारा दमन को उजागर किया है, जिसमें बलूच नेताओं और नागरिकों के घरों पर हिंसक छापे, गैरकानूनी गिरफ्तारी, जबरन गायब करना, ‘मार डालो और फेंक दो’ नीति, लोक व्यवस्था अध्यादेश के तहत हिरासत में लेना और मनगढ़ंत पुलिस मामले दर्ज करना शामिल है।