नई दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। सरकारी कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
यह शिकायत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खरीदने को लेकर लोन लेने के लिए कथित तौर पर झूठे दस्तावेज जमा कराने को लेकर है।
सरकारी फाइनेंशियल कंपनी ने कहा, “पीएफसी ने फर्जी दस्तावेज जारी करने के मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई है। पीएफसी अपने हितों की रक्षा करने और अपने परिचालन में पारदर्शिता बनाए रखते हुए अपने लोन की वसूली सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
कैब सेवाएं प्रदान करने वाली ऑल-इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) ऐप ब्लूस्मार्ट की प्रमोटर कंपनी जेनसोल ने कथित तौर पर अपने दो क्रेडिटर्स – पीएफसी और इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) से जाली लेटर बनवाए, जिससे यह दिखाया जा सके कि वह नियमित रूप से अपने लोन का भुगतान कर रही है। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने क्रेडिटर्स के साथ लेटर की पुष्टि करना शुरू किया।
सरकारी कंपनी ने कहा कि वह अपनी एंटी-फ्रॉड नीति के तहत आंतरिक रूप से भी मामले की जांच कर रही है। जांच का फोकस पीएफसी द्वारा फंड इलेक्ट्रिक वाहनों की गुम डिलीवरी रसीदों पर केंद्रित होगा।
जेनसोल ने ऑनलाइन ग्रीन टैक्सी सेवा चलाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने हेतु पीएफसी और आईआरईडीए से 978 करोड़ रुपये का लोन लिया था। यह कैब सर्विस दिल्ली एनसीआर और बेंगलुरु में काफी लोकप्रिय हो गई थी।
इन लोन का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए किया जाना था, लेकिन 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एक कार डीलरशिप के माध्यम से प्रमोटरों से जुड़ी अन्य कंपनियों को भेज दी गई। कुछ पैसे का इस्तेमाल लग्जरी खरीद के लिए किया गया, जिसमें डीएलएफ कैमेलियास में फ्लैट शामिल हैं, जहां एक अपार्टमेंट की कीमत 70 करोड़ रुपये से शुरू होती है।
सेबी की जांच में जेनसोल 262.13 करोड़ रुपये की राशि का हिसाब नहीं दे पाई थी।
सेबी ने 15 अप्रैल, 2025 को एक विस्तृत अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें बताया गया कि आखिर जेनसोल में क्या गड़बड़ी थी।
आदेश में कहा गया कि अनमोल और पुनीत सिंह जग्गी सहित जेनसोल के प्रमोटरों ने कंपनी को अपने निजी ‘गुल्लक’ की तरह इस्तेमाल किया। प्रमोटरों ने लोन राशि को खुद या संबंधित संस्थाओं में डायवर्ट कर दिया था।
जेनसोल ने वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 24 के बीच आईआरईडीए और पीएफसी से 977.75 करोड़ रुपये का लोन प्राप्त किया था। इसमें से 663.89 करोड़ रुपये विशेष रूप से 6,400 ईवी की खरीद के लिए थे। हालांकि, कंपनी ने केवल 4,704 वाहन खरीदने की बात स्वीकार की, जिनकी कीमत 567.73 करोड़ रुपये थी। इसे सप्लायर गो-ऑटो द्वारा वेरीफाई किया गया था।
सेबी की जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसे पुणे में जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्लांट में “कोई मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि” नहीं मिली, और साइट पर केवल दो से तीन मजदूर मौजूद थे।