नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों और उप-प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन में योगदान देने वाले देशों को एकजुट होकर ऐसा ढांचा तैयार करना चाहिए जो सैन्य योगदान देने वाले देशों की आवाज को और सशक्त बनाए।
उन्होंने कहा कि शांति केवल थोपी नहीं जानी चाहिए, बल्कि सहभागी और स्थानीय हितधारकों के सहयोग से इसे पोषित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमें स्थानीय हितधारकों के साथ अधिक सक्रिय जुड़ाव की दिशा में काम करना चाहिए। इससे ऐसा वातावरण बनेगा जिसमें शांति थोपे जाने के बजाय सहभागिता के माध्यम से फले-फूलेगी।
उन्होंने कहा कि भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के पालन में दृढ़ता से विश्वास करता है। भारत को गर्व है कि संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों की शुरुआत से ही वह निरंतर योगदान देता रहा है। भारतीय शांति रक्षकों ने दुनिया के सबसे कठिन अभियानों में अपनी वीरता और समर्पण का परिचय दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने शांति स्थापना अभियानों में लैंगिक समानता और समावेशन की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। महिला शांति रक्षकों ने स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और आपसी विश्वास को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन और इस तरह के अन्य कार्यक्रम नए विचारों, गहन सहयोग और स्थायी मित्रता को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि शांति के संरक्षक के रूप में हमें ऐसा विश्व बनाना चाहिए, जहां हर बच्चा सुरक्षित सोए, हर समुदाय सौहार्द के साथ आगे बढ़े और संघर्ष केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज रह जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक वर्तमान में दुनिया भर में 71 मिशनों में तैनात हैं, जिनका उद्देश्य निर्दोष लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की पीड़ा को कम करना है। उन्होंने कहा कि इन मिशनों में तैनात शांति रक्षकों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी साहस, अनुशासन और करुणा का अद्भुत परिचय दिया है।